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अब नहीं हो पाएगी उम्र वाली धोखाधड़ी, BCCI ने जूनियर लेवल पर लागू किए नए नियम

BCCI Bone Test to Measure Age: हिंदुस्तानीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने आयु धोखाधड़ी (एज फ्रॉड) को लेकर बड़ा कदम उठाया है. बोर्ड की इस सख्ती के बाद युवा और प्रतिभाशाली क्रिकेटरों के साथ अन्याय नहीं होगा और उन्हें सही मौके मिलेंगे. पहले कई खिलाड़ी अपनी उम्र कम दिखाकर जूनियर स्तर के टूर्नामेंटों में स्पोर्ट्सते थे, जिससे असली युवा टैलेंट को मौका नहीं मिल पाता था. बीसीसीआई अब इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. बीसीसीआई ने फैसला किया है कि जूनियर स्तर के क्रिकेटरों की उम्र की सटीक जांच के लिए एक अतिरिक्त…

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BCCI Bone Test to Measure Age: हिंदुस्तानीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने आयु धोखाधड़ी (एज फ्रॉड) को लेकर बड़ा कदम उठाया है. बोर्ड की इस सख्ती के बाद युवा और प्रतिभाशाली क्रिकेटरों के साथ अन्याय नहीं होगा और उन्हें सही मौके मिलेंगे. पहले कई खिलाड़ी अपनी उम्र कम दिखाकर जूनियर स्तर के टूर्नामेंटों में स्पोर्ट्सते थे, जिससे असली युवा टैलेंट को मौका नहीं मिल पाता था. बीसीसीआई अब इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. बीसीसीआई ने फैसला किया है कि जूनियर स्तर के क्रिकेटरों की उम्र की सटीक जांच के लिए एक अतिरिक्त बोन टेस्ट अनिवार्य किया जाएगा. इससे खिलाड़ियों की सही उम्र का आसानी से पता चल सकेगा.

TW3 मेथड से होता है टेस्ट

फिलहाल, बीसीसीआई हड्डी की उम्र का पता लगाने के लिए TW3 मेथड (Tanner-Whitehouse 3 Method) का इस्तेमाल करती है. इस टेस्ट से एक खिलाड़ी की उम्र का अनुमान लगाया जाता है. पहले इस टेस्ट के आधार पर अगले सीजन के लिए पात्रता निर्धारित की जाती थी, जिसमें एक ‘प्लस वन’ फैक्टर भी जोड़ा जाता था. अब इस प्रक्रिया में एक और बोन टेस्ट शामिल किया गया है. बीसीसीआई ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत जूनियर स्तर पर खिलाड़ियों का अतिरिक्त अस्थि परीक्षण (बोन टेस्ट) कराने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी खिलाड़ी अतिरिक्त सत्र स्पोर्ट्सने से वंचित न रहे.

कितनी बार होता है हड्डी का टेस्ट?

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अंडर-16 क्रिकेटरों को अब नए सीजन से दो बार बोन एज टेस्ट से गुजरना होगा खासकर वे खिलाड़ी जो +1 फैक्टर के चलते उम्र सीमा पार कर सकते हैं. यह दोबारा टेस्ट इसलिए किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खिलाड़ी की वास्तविक उम्र पात्रता सीमा के भीतर है या नहीं. बीसीसीआई ने अंडर-16 लड़कों के लिए बोन एज की अधिकतम सीमा 16.5 साल तय की है, जबकि अंडर-15 लड़कियों के लिए यह सीमा 15 साल रखी गई है. बीसीसीआई के एक सूत्र ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ऐसा सटीक उम्र जानने के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कोई भी खिलाड़ी वैज्ञानिक गणना के बजाय गणितीय गणना के कारण स्पोर्ट्सने से ना चूके.’’

कैसे मापी जाएगी बोन एज?

2026-27 सत्र के लिए यदि किसी खिलाड़ी की अस्थि आयु (बोन एज) 15.4 साल पाई जाती है, तो उसमें एक साल जोड़कर उसकी आयु गणितीय रूप से 16.4 मानी जाएगी. भले ही उसकी वास्तविक शारीरिक उम्र इससे अलग हो, लेकिन वह 16.4 की सीमा के भीतर होने के कारण अंडर-16 टूर्नामेंट में स्पोर्ट्सने के योग्य रहेगा. वहीं अगर किसी खिलाड़ी की बोन एज 15.5 साल या उससे अधिक निकली, तो एक साल जोड़ने पर वह 16.5 या उससे ज्यादा हो जाएगी, जो तय सीमा 16.4 से अधिक है. ऐसे में वह खिलाड़ी टूर्नामेंट में स्पोर्ट्सने के लिए अयोग्य माना जाएगा.

इसी तरह, अंडर-15 लड़कियों के लिए भी यही नियम लागू होता है. अगर किसी लड़की की हड्डी की उम्र इस सीजन में 13.9 साल है, तो अगला सीजन आने पर वह 14.9 की लिमिट में रहते हुए उसी कैटेगरी में स्पोर्ट्सने की पात्र होगी. लेकिन यदि इस सीजन में उसकी बोन एज 14 साल या उससे ज्यादा होती है, तो वह इस बार तो स्पोर्ट्स सकती है, लेकिन अगले सत्र में उसकी उम्र 15 मानी जाएगी, जो 14.9 की सीमा को पार कर जाती है और वह टूर्नामेंट में नहीं स्पोर्ट्स पाएगी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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