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आमरासोता मौजा में तालाब पर अवैध निर्माण, एक साल बाद भी कार्रवाई नहीं

रानीगंज.

रानीगंज के आमरासोता मौजा के दाग नंबर 1222 पर रिकॉर्ड के अनुसार एक तालाब पंजीकृत है, लेकिन वर्ष 2024 में पाया गया कि इस तालाब को अवैध रूप से पाट कर कई घरों का निर्माण कर लिया गया है. इस अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर बीएलआरओ दफ्तर के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर तालाब की नाप-जोख की, जिससे यह पुष्टि हुई कि वास्तव में यहां एक तालाब था और उस पर अवैध निर्माण किया गया है. इस मामले को लेकर रानीगंज के पंजाबी मोड़ चौकी में शिकायत भी की गयी थी. लेकिन एक साल से ज़्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अब तक ना तो ठोस कार्रवाई की गयी, ना ही अवैध रूप से बने घरों को तोड़ा गया है. तालाब को उसके मूल स्वरूप में बहाल नहीं किया गया है. इस संबंध में बात करने पर रानीगंज बोरो चेयरमैन मुजम्मिल शहजादा ने स्वीकार किया कि दाग नंबर 1222 पर एक तालाब पंजीकृत है, जिसे मिट्टी से पाट कर मकान बना लिये गये हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त निर्देशों का हवाला दिया. स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी तालाब या जलाशय को भर कर किये गये निर्माण कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और ऐसे कृत्यों में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. बोरो चेयरमैन ने बताया कि पंजाबी मोड़ चौकी में शिकायत की गयी है और इस पर जल्द कार्रवाई की जायेगी.

उन्होंने मामले में दो लोगों सुभाष गुप्ता व दिनेश गुप्ता का नाम लेते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही. भी बताया कि जिस दाग नंबर की बात की जा रही है, उस पर मौजूद तालाब का आधा हिस्सा राजा के परिवार के नाम पर है और आधा हिस्सा वेस्टेड है. ऐसे में इसे अवैध तरीके से बेचने और उस पर अवैध निर्माण करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने यह भी माना कि रानीगंज में कुछ भू- माफिया सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करेगा.

वहीं, रानीगंज टाउन टीएमसी अध्यक्ष रूपेश यादव ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वहां तालाब था और उसे भर कर घरों का निर्माण किया गया है, जो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने विश्वास दिलाया कि प्रशासन इस पर उचित कार्रवाई करेगा, क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि तालाबों या जलाशयों को भर कर किया गया निर्माण कार्य अस्वीकार्य है. यह मामला रानीगंज में अवैध भूमि अतिक्रमण और प्रशासन की धीमी कार्रवाई पर सवाल उठाता है, खासकर तब जब स्वयं शीर्ष अधिकारी और नेतृत्वक नेता भी इस अवैधता को स्वीकार कर रहे हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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