Hot News

आरपीसीएयू पूसा में शासन-व्यवस्था पर संकट: वाइस-चांसलर पर मनमाने ढंग से अधिकारों के इस्तेमाल का आरोप

डॉ. डी.एन. सिंह ने विज़िटर को पत्र लिखकर जताई आपत्ति, बैठकें ठप और नियुक्तियों पर उठे सवाल

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RPCAU), पूसा में शासन-प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, चियांकी (पलामू) के जोनल रिसर्च स्टेशन के मुख्य वैज्ञानिक एवं विश्वविद्यालय प्रोफेसर डॉ. डी.एन. सिंह ने 3 जून 2024 को विश्वविद्यालय के विज़िटर को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति दर्ज कराई है।

पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में 2017 से 2022 तक कुल 18 बैठकें हुईं — औसतन साल में तीन बैठकें। लेकिन सितंबर 2022 के अंतिम सप्ताह में वाइस-चांसलर बने डॉ. पी.एस. पांडे के कार्यकाल के 1 वर्ष 8 माह में अब तक केवल तीन ही बैठकें हो पाई हैं।

डॉ. सिंह का कहना है कि RPCAU के नियम clause-12(3) of statute के अनुसार प्रशासनिक शक्तियां केवल बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (BoM) के पास होती हैं, जबकि वाइस-चांसलर केवल BoM और अन्य प्राधिकरणों (जैसे रिसर्च काउंसिल, एकेडमिक काउंसिल) के निर्देश पर कार्य कर सकते हैं। इसके बावजूद, BoM की बैठकें नहीं हो रही हैं और वाइस-चांसलर गैर-जरूरी मुद्दों पर भी BoM के अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं। इससे BoM “निष्क्रिय” होता जा रहा है।

पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि 21वीं बैठक में विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति सचिवालय के निर्देश का उल्लंघन किया। यह मामला DARE (डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन) की जांच रिपोर्ट से जुड़ा था, जिसे विज़िटर पहले ही अनुमोदित कर चुके थे। रिपोर्ट में डॉ. एस.के. पटेल (एसोसिएट प्रोफेसर, फार्म पावर एंड मशीनरी) की नियुक्ति को अवैध बताया गया था। लेकिन BoM ने DARE रिपोर्ट से अलग निष्कर्ष निकालते हुए उन्हें दोषमुक्त ठहरा दिया।

पत्र में आगे कहा गया है कि BoM ने अन्य बिंदुओं (B(vii) और B(ix)) पर भी यही गलती दोहराई। RPCAU एक्ट की धारा 9(7) के तहत न तो विश्वविद्यालय और न ही BoM को DARE रिपोर्ट की समीक्षा करने का अधिकार है, क्योंकि वह पहले ही विज़िटर द्वारा अनुमोदित की जा चुकी है।

डॉ. सिंह ने पत्र में स्कूल ऑफ एग्री-बिजनेस एंड रूरल मैनेजमेंट की नियुक्तियों पर भी सवाल उठाए हैं। इस संस्था को आत्मनिर्भर रूप में (ऑर्डिनेंस 19/2018) चलाया जाना था, लेकिन बड़े पैमाने पर नियुक्तियां कर दी गईं और वेतन का बोझ विश्वविद्यालय व DARE पर डाल दिया गया। इसी तरह डायरेक्टर रिसर्च की नियुक्ति को भी उन्होंने अवैध बताया है। आरोप है कि उम्मीदवार का आवेदन न तो सही चैनल से आया और न ही मूल संस्था (इंडियन शुगरकेन रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ) से एनओसी ली गई।

पत्र में डॉ. सिंह ने यह भी कहा है कि उन्हें 21वीं बैठक में “कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट” का हवाला देकर शामिल होने से रोका गया, जबकि वे इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट भी नहीं थे। इसे उन्होंने वाइस-चांसलर का अवैध कदम बताया है।

अंत में, पत्र में विज़िटर से अनुरोध किया गया है कि वाइस-चांसलर को निर्देशित किया जाए कि BoM की बैठक तुरंत बुलाई जाए, ताकि इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो और नियमसम्मत निर्णय लिया जा सके।

डॉ. डी.एन. सिंह का यह पत्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे में गहरी खामियों को उजागर करता है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विज़िटर इन गंभीर आरोपों पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या RPCAU में पारदर्शिता बहाल हो पाएगी।

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top