कोलकाता. बिल बकाया होने पर किसी मरीज के शव को रोका नहीं जा सकता. इस संबंध में वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने संदेश जारी किया है. राज्य स्वास्थ्य आयोग के सचिव अरशद वारसी ने बताया कि जब कोई मरणासन्न मरीज निजी नर्सिंग होम में आता है, तो पहले दिन ही उसकी कई जांच की जाती है. जिस जांच की जरूरत नहीं होती, वह भी करायी जाती है. एक दिन में 50 से 60 हजार का बिल बनाया जाता है. कई निजी अस्पताल बिल का भुगतान नहीं होने पर मरीज के शव को रोक कर रखते हैं. कमीशन में हर साल ऐसी अनगिनत शिकायतें दर्ज करायी जाती हैं. उन्होंने निजी अस्पतालों को दो टूक कहा कि इस मामले में वह कोई बहाना नहीं सुनना चाहते हैं. चाहे जितना भी पैसा बकाया हो, शव को हर हाल में परिजनों को सौंपना होगा. उल्लेखनीय है कि अखिल हिंदुस्तानीय नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष एचएम प्रसन्ना हाल ही में बंगाल में प्रोग्रेसिव नर्सिंग होम एसोसिएशन के राज्य सम्मेलन में उपस्थित थे. जहां उन्होंने कहा था कि बंगाल के नर्सिंग होम में ईमानदारी की कमी है. सवाल यह उठता है कि क्या यही वजह है कि इतने सारे बंगाली इलाज के लिए दक्षिण की ओर भाग रहे हैं? मरीज के परिजनों ने लिए भी बनेना कानून : कमीशन के नये निर्देश पर कुछ निजी अस्पतालों को आपत्ति है. इन अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि उक्त व्यवस्था को लागू कर दिया जाता है, तो परिजन अपने मरीज की मौत के बाद इलाज खर्च का भुगतान नहीं करना चाहेंगे. कमीशन के चेयरमैन असीम कुमार बनर्जी ने कहा कि कई निजी अस्पताल सोच रहे हैं कि अगर ऐसा हुआ तो कई मरीजों के परिवार वाले बिना पैसे चुकाये ही चले जायेंगे. लेकिन उनकी यह सोच गलत है. बकाया पैसे वसूलने के लिए भी नया कानून बनाया जा रहा है.
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