Hot News

एआईएसएफ राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन ‘विज्ञान’ और ‘छात्र आंदोलन’ पर केंद्रित रहा संवाद

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर–  ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (AISF) द्वारा आचार्य नरेंद्र देव महाविद्यालय, शाहपुर पटोरी में आयोजित छह दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन का वातावरण विचार, ज्ञान और सामाजिक प्रतिबद्धता से ओतप्रोत रहा। दिन के दोनों सत्रों में देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एवं छात्र आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने संवाद के माध्यम से प्रतिभागियों को नई दृष्टि और ऊर्जा प्रदान की।

दिन के प्रथम सत्र में जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) के पूर्व प्राध्यापक और प्रतिष्ठित वैज्ञानिक प्रोफेसर संतोष के. कार ने “विज्ञान और समाज के विकास में वैज्ञानिक शोध की भूमिका” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने विशेष रूप से करक्यूमिन पर केंद्रित अपने वर्षों के शोध कार्य की चर्चा करते हुए बताया कि किस प्रकार पारंपरिक औषधीय ज्ञान को वैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। प्रो. कार ने कहा कि करक्यूमिन सीधे रोगाणुओं को नष्ट करने के बजाय, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है, जिससे मलेरिया और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के विरुद्ध दीर्घकालिक सुरक्षा संभव हो सकती है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि वैज्ञानिकों की सामाजिक जिम्मेदारी केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि समाज को जानकारी के लाभ से अवगत कराना उनका नैतिक दायित्व है। इस सत्र में जेएनयू के ही पूर्व प्राध्यापक प्रो. सुबोध नारायण मालाकार भी उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में छात्रों, शोधार्थियों एवं प्रशिक्षुओं ने इस संवाद में भाग लिया और प्रो. कार के वक्तव्य को अत्यंत प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक बताया।

द्वितीय सत्र में AISF के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड विजेंद्र केसरी ने “स्वतंत्रता आंदोलन में छात्रों की भूमिका” विषय पर विस्तार से संवाद किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी चेतनशील प्राणी होते हैं जो केवल पाठ्यक्रमों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि सामाजिक, नेतृत्वक और राष्ट्रीय परिवर्तनों के वाहक बनते हैं। उन्होंने भगत सिंह और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जैसे ऐतिहासिक संगठनों का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि छात्र और युवा शुरू से ही देश की आज़ादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं।

कॉमरेड केसरी ने 1905 के बंग-भंग आंदोलन से लेकर 1942 के हिंदुस्तान छोड़ो आंदोलन तक छात्रों की सक्रिय भागीदारी को उदाहरणस्वरूप रखते हुए कहा कि यह परंपरा आज भी प्रासंगिक है। वर्तमान दौर में भी क्रांतिकारी चेतना, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए छात्रों को संगठित और सचेत होने की आवश्यकता है।

तीसरे दिन के दोनों सत्रों ने यह स्पष्ट कर दिया कि विज्ञान और छात्र आंदोलन केवल अतीत के स्मरणीय अध्याय नहीं हैं, बल्कि वर्तमान में भी समाज को दिशा देने वाली दो प्रमुख शक्तियाँ हैं। प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने वाले युवाओं ने इन विचारपूर्ण सत्रों से न केवल बौद्धिक लाभ प्राप्त किया, बल्कि समाज परिवर्तन की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प भी लिया।

कार्यक्रम के दौरान एआईएसएफ बिहार राज्य परिषद के अध्यक्ष सुधीर कुमार, राज्य सचिव अमीन हमजा, जिला सहसचिव अभिषेक आनंद, उपाध्यक्ष श्याम किशोर, स्वागत समिति के अध्यक्ष हरिशंकर शर्मा, महासचिव अविनाश कुमार,माकपा नेता अनिमेष कुमार, चंदन कुमार सहित अन्य प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सभी ने अपने विचारों से प्रशिक्षण शिविर को वैचारिक गहराई और सांगठनिक ऊर्जा प्रदान की।

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top