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ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तानी सेना की क्षमता पर सवालिया निशान है

राणा प्रताप कलिता, लेफ्टिनेंट जनरल(सेवानिवृत्त)

हिंदुस्तान ने जिस तरीके से पाकिस्तान पर सटीक सैन्य कार्रवाई की, उससे पड़ोसी देश हतप्रभ रह गया है. पाकिस्तान को आशंका थी कि हिंदुस्तान पीओके में सैन्य कार्रवाई कर सकता है. लेकिन पहली बार हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जैश और लश्कर के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर इस्लामाबाद को हैरान कर दिया है. पाकिस्तान को कभी उम्मीद नहीं रही होगी कि हिंदुस्तान पाकिस्तान के मुख्य प्रांत पंजाब में सीधे हमला करेगा. यह हमला हमारे पड़ोसी देश को साफ संदेश है कि अगर आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति नहीं बदली तो हिंदुस्तान के निशाने पर पूरा पाकिस्तान आ सकता है.
हिंदुस्तानीय सेना की कार्रवाई से पाक सेना को लेकर वहां की अवाम में बनी छवि को भी नुकसान होना तय है. अब तक पाकिस्तानी जनता यह समझ रही थी कि उसकी सेना काफी ताकतवर है और वह हिंदुस्तानीय कार्रवाई का डटकर सामना करने में सक्षम है. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तानी सेना की क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा कर चुका है. यह सही है कि पाकिस्तानी सेना अपनी अवाम को खुश करने के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकती है. लेकिन इसके लिए हिंदुस्तानीय सेना पूरी तरह तैयार है. हिंदुस्तान ने किसी संभावित हमले को लेकर पहले ही सटीक तैयारी कर ली है. मौजूदा समय में पाकिस्तानी सेना के पास सीमित विकल्प हैं और वह नहीं चाहेगी कि हिंदुस्तान के साथ व्यापक पैमाने पर युद्ध के हालात पैदा हों. क्योंकि फिलहाल पाकिस्तान के साथ खुलकर कोई देश खड़ा नहीं है. मौजूदा भू-नेतृत्वक स्थिति को देखते हुए चीन भी खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं हो सकता है. ट्रंप के चीनी उत्पादों पर व्यापक टैरिफ लगाने के बाद चीन की वित्तीय स्थिति अच्छी स्थिति में नहीं है. ऐसे में अमेरिकी कार्रवाई के बाद चीन हिंदुस्तान के साथ संबंध सुधारने की कवायद में जुटा हुआ है. हाालंकि पाकिस्तान और चीन की दोस्ती जगजाहिर है. कई मौके पर चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखा है. सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति के अलावा चीन पाकिस्तान में अरबों डॉलर खर्च कर आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है और बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है. लेकिन बलूचिस्तान में पाक सेना और चीनी निवेश के खिलाफ बलूच लिबरेशन आर्मी के विद्रोह के कारण चीन को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के समय से पूरा नहीं होने के कारण चीन को आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में मौजूदा समय में चीन एक सीमा के बाहर जाकर पाकिस्तान को खुलकर समर्थन नहीं कर सकता है. क्योंकि ऐसा करने से चीन को हिंदुस्तानीय बाजार में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. श्रीलंका और अफ्रीकी देशों में चीन का अरबों डॉलर स्थानीय प्रतिरोध के कारण फंस गया है. ऐसे में घरेलू मोर्चे पर आर्थिक संकट का सामना कर रहे चीन के लिए हिंदुस्तान के खिलाफ खुलकर सामने आना मुश्किल है. हालांकि पाकिस्तान की कोशिश बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद कट्टरपंथियों ताकतों को मजबूत करने की है. मौजूदा बांग्लादेश प्रशासन और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहतर हुए है. इसका असर पूर्वोत्तर हिंदुस्तान पर पड़ सकता है. पाकिस्तान बांग्लादेश में आतंकियों को हिंदुस्तान के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकता है. हालांकि मौजूदा प्रशासन के खिलाफ बांग्लादेश में भी गुस्सा पनप रहा है. वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर हिंदुस्तान के पास पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने का विरोध कोई भी देश नहीं कर रहा है. हिंदुस्तान के लिए अच्छी बात है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हैं, जबकि अफगान तालिबान और हिंदुस्तान प्रशासन के रिश्ते बेहतर हुए है. खाड़ी के अधिकांश देश भी हिंदुस्तान का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है. हो सकता है कि आने वाले समय में पाकिस्तान कई टुकड़ों में बंट जाए. प्रशासन ने पहले कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर हिंदुस्तान को चोट पहुंचाने का काम किया. फिर सटीक रणनीति बनाकर सैन्य कार्रवाई का विकल्प को चुना और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाने का काम किया. (बातचीत पर आधारित)

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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