हजारीबाग. झारखंड के जाने-माने कवि कथाकार प्राणेश कुमार 70 वर्ष का निधन गुरुवार की सुबह रांची स्थित टाटा कैंसर हॉस्पिटल में हो गया. उनके निधन पर साहित्यकारों के बीच शोक की लहर फैल गयी. 2018 से वे पेट के कैंसर से ग्रसित थे. उनकी साहित्यिक कर्म भूमि हजारीबाग और रामगढ़ जिला थी. उनका हिंदी साहित्य के पद्य और गद्य दोनों विद्या पर अच्छी पकड़ थी. लेकिन उन्हें काव्य के क्षेत्र में ज्यादा प्रसिद्ध मिल पायी थी. प्राणेश कुमार एक संवेदनशील स्वभाव के व्यक्ति थे. प्राणेश कुमार के निधन पर कथाकार रतन वर्मा ने कहा कि आज देश ने हिंदी काव्य जगत के एक महानतम सितारा प्राणेश कुमार को खो दिया है. कथाकार टीपी पोद्दार ने कहा कि मृत्यु से लगभग एक सप्ताह पूर्व ही प्राणेश कुमार, रतन वर्मा और मेरे समक्ष कविता का वाचन किया था. इस तरह उनका जाना हिंदी साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति के समान है. साहित्यिक संस्था परिवेश के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि प्राणेश कुमार का संपूर्ण जीवन हिंदी कविता और कथा सृजन को समर्पित रहा था. वे एक जनवादी विचार धारा के कवि थे.
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