Bihar Election 2025: बिहार की नेतृत्व में रिश्ते और सत्ता की भूख एक बार फिर आमने-सामने है। इस बार अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट से जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत तस्लीमुद्दीन के बेटे आपस में ही ताल ठोक रहे हैं. यह सीट अब सिर्फ़ एक चुनाव क्षेत्र नहीं, बल्कि पारिवारिक विरासत और सत्ता की चाहत के बीच टकराव का मैदान बन गई है.
जोकीहाट विधानसभा में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है. एक तरफ हैं जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार सरफराज आलम, जो इस सीट से चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. दूसरी तरफ, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मौजूदा विधायक शाहनवाज आलम, जो वर्तमान बिहार प्रशासन में मंत्री रह चुके हैं.
2020 की हार और परिवार में फूट
सरफराज आलम ने 1996 में नेतृत्व में कदम रखा और कई बार विधायक रहे. वहीं, छोटे भाई शाहनवाज ने पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में AIMIM के टिकट पर अपने भाई सरफराज आलम को हराकर ही धमाकेदार एंट्री की थी, जिससे इस नेतृत्वक लड़ाई की नींव पड़ी.
2024 लोकसभा चुनाव में भी छाया पारिवारिक संघर्ष
2024 के लोकसभा चुनाव में RJD ने शाहनवाज आलम को अररिया से उम्मीदवार बनाया. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में मिली उनकी हार के लिए भी पारिवारिक कलह को जिम्मेदार ठहराया गया. ऐसी समाचारें थीं कि जोकीहाट क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले सरफराज आलम ने कथित तौर पर अपने वोटरों को दूसरी पार्टियों के पक्ष में मोड़ने का काम किया, जिससे छोटे भाई को नुकसान हुआ.
इस जन सुराज ने जताया भरोसा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, सरफराज आलम ने RJD और JDU सहित कई दलों का दरवाज़ा खटखटाने के बाद जन सुराज पार्टी से टिकट हासिल किया है, जिससे यह ‘भाई बनाम भाई’ की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है.
त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा जोकीहाट विधानसभा
हालांकि, ये विधानसभा सिर्फ़ दो भाइयों के संघर्ष तक सीमित नहीं है. इस बार जोकीहाट में तीन पूर्व मंत्रियों की उपस्थिति ने इसे एक हॉट सीट बना दिया है. JDU ने भी यहां से पूर्व मंत्री मंजर आलम को मैदान में उतारा है, जिससे यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
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