कोलकाता/नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को 18 साल तक सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान न करने संबंधी राज्य प्रशासन की तुच्छ याचिका पर नाराजगी जतायी और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ राज्य प्रशासन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर इन याचिकाओं को देरी के साथ-साथ गुण-दोष के आधार पर खारिज करते हैं और प्रतिवादी को आज से चार सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये का जुर्माना अदा किये जाने का आदेश भी देते हैं.’ पीठ ने कहा कि उसने मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया, जबकि याचिका ‘391 दिन की काफी देरी’ से दायर की गयी थी और राज्य द्वारा कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था. न्यायालय ने 14 फरवरी को अपने आदेश में कहा, ‘हम पाते हैं कि यह पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक पूरी तरह से तुच्छ और परेशान करने वाली याचिका है.’ उच्च न्यायालय ने 2007 में सेवानिवृत्त हुए व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को रद्द कर दिया था और उसे सभी बकाया राशि जारी करने का निर्देश दिया था.
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