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गंगा की गोद में बसा रहस्यमय मंदिर, जहां आज भी गूंजती है गुरु वशिष्ठ की आस्था

Bhagalpur News: बिहार का भागलपुर जिला न सिर्फ ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास माना जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर और तीर्थ स्थल हैं जो पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं. इन्हीं में से एक है कहलगांव में स्थित बटेश्वर स्थान, जो गंगा नदी के बीचों-बीच स्थित होने के कारण रहस्यमय और आकर्षक दोनों है.

गंगा की धारा में बसा बटेश्वर स्थान

भागलपुर जिले के कहलगांव में स्थित बटेश्वर स्थान एक अनोखा मंदिर है, जो गंगा के बीचों-बीच पहाड़ियों पर बना हुआ है. चारों ओर बहती गंगा और उसके बीच स्थित यह शिवधाम श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक अनुभव देता है, बल्कि प्राकृतिक सुन्दरता भी यहां का खास आकर्षण है. गंगा के बीच बसे इस मंदिर तक पहुंचना एक रोमांचकारी अनुभव है, जिससे यह स्थल आस्था के साथ-साथ पर्यटन का केंद्र भी बन गया है.

गुरु वशिष्ठ की तपोभूमि और आपरुपी शिवलिंग

ऐसा माना जाता है की यह स्थान भगवान् राम के गुरु वशिष्ठ की तपोस्थली रही है. बटेश्वर स्थान में स्थापित शिवलिंग को “आपरुपी’ कहा जाता है, यानी इसका कोई निश्चित आकर नहीं है. यह विश्वास है की गुरु वशिष्ठ यहां लम्बे समय तक स्थापना में लीन रहे थे. मंदिर का नाम भी उनके नाम पर ही रखा गया है, जो इसे और विशेष बनाता है.

सावन-भादो में लगता है भक्तों का मेला

यह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अहम है. भादो महीने में यहां एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. सावन के पवित्र महीने में भी यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. भक्त गंगा पार कर भगवान शिव के दर्शन के लिए इस दिव्य स्थल पर पहुंचते हैं.

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गुफा में आज भी मौजूद है गुरु वशिष्ठ का आसन

मंदिर परिसर में एक गुफा है, जिसे गुरु वशिष्ठ की तपोभूमि माना जाता है. कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां वह ध्यान और साधना किया करते थे. गुफा में उनका आसन आज भी सुरक्षित मौजूद है. हालांकि, सुरक्षा कारणों से पुरातत्व विभाग ने गुफा को बंद कर दिया है और उस पर ताला लगा दिया गया है ताकि वहां कोई नुकसान न पहुंचा सके.

(सुमेधा श्री की रिपोर्ट)

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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