Pakistani Mail Suspend: पहलगाम आतंकी हमले के बाद हिंदुस्तान पाकिस्तान पर एक पर एक कूटनीतिक कार्रवाई कर रहा है. हिंदुस्तान ने शनिवार को आतंकवादियों को पनाह देने वाले देश पाकिस्तान पर एक और कार्रवाई करते हुए हवाई और सड़क मार्ग के जरिए पड़ोसी देश आने वाले सभी प्रकार के मेल और पार्सल को निलंबित करने का फैसला किया दिया है. केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने एक बयान में इस बात का ऐलान किया है. हिंदुस्तान के इस फैसले के बाद संचार मंत्रालय और डाक विभाग के बयान को इंडिया पोस्ट ने भी ट्वीट किया है.
पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लागू
इससे पहले ही हिंदुस्तान प्रशासन ने पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात तथा पारगमन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की घोषणा कर दी थी. इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान में उत्पादित या वहां से निर्यात किए जाने वाले सामानों की हिंदुस्तान में किसी भी मार्ग से आवक अब पूरी तरह बंद हो जाएगी. चाहे वह सामान स्वतंत्र रूप से आयात योग्य हो या विशेष अनुमति प्राप्त, सब पर यह प्रतिबंध लागू होगा.
पाकिस्तान से व्यापार अब शून्य के बराबर
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, इस प्रतिबंध के चलते पाकिस्तान से हिंदुस्तान का आयात अब पूरी तरह शून्य हो जाएगा, जो अभी करीब 0.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर सालाना था. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान में शायद ही किसी को इस प्रतिबंध से कोई खास फर्क महसूस हो, सिवाय सेंधा नमक (हिमालयन पिंक सॉल्ट) के, जिसे पाकिस्तान के नमक भंडार से निकाला जाता है.
पहले से ही था व्यापार सीमित
श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि यह निर्णय प्रतीकात्मक जरूर है, लेकिन इसका कूटनीतिक महत्व बहुत बड़ा है. दरअसल, पुलवामा हमले (2019) के बाद हिंदुस्तान ने पाकिस्तान से आने वाले सामान पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया था, जिससे व्यापार पहले ही नगण्य हो चुका था. अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच पाकिस्तान से हिंदुस्तान का आयात सिर्फ 0.42 मिलियन डॉलर तक सीमित रह गया था.
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कूटनीतिक स्तर पर सख्त कदम
हिंदुस्तान प्रशासन ने पहलगाम हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत के बाद कई अन्य कूटनीतिक कदम भी उठाए हैं. इसमें अटारी सीमा पर एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) को निलंबित करना, उन्हें हिंदुस्तान छोड़ने के लिए 40 घंटे का समय देना और दोनों देशों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या कम करना शामिल है.
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सिंधु जल संधि भी निलंबित
हिंदुस्तान ने 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को भी निलंबित करने की घोषणा की है, जो दशकों से दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का एकमात्र बड़ा समझौता रहा है. हिंदुस्तान के इन कड़े कदमों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब आतंकी हमलों का जवाब केवल सीमा पर नहीं, बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर भी दिया जाएगा.
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