Prayagraj News: प्रयागराज में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित विशेष जनसुनवाई में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ का कड़ा रुख देखने को मिला. उन्होंने जमीन पर अवैध कब्जों की बढ़ती शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए करछना, फूलपुर, सोरांव, हंडिया, बारा, मेजा और कोरांव तहसीलों के तहसीलदारों को स्पष्ट निर्देश दिए कि 30 जून तक सभी लंबित मामलों का निस्तारण कर दिया जाए. अन्यथा, उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है.
387 शिकायतें, 168 का हुआ तत्काल निस्तारण
जनसुनवाई दोपहर 11 बजे शुरू हुई, जिसमें भारी संख्या में लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे. कुल 387 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 168 का मौके पर ही समाधान कर दिया गया. अधिकांश शिकायतें जमीन पर अवैध कब्जों से जुड़ी थीं. इसको देखते हुए डीएम ने सभी संबंधित तहसीलदारों को जिम्मेदारी दी कि वे हर मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएं.
चिल्ला के प्रधान के खाते पर उठे सवाल, डीएम ने जताई नाराजगी
एक और मामला चिल्ला गांव से जुड़ा सामने आया, जहां जेल से रिहा होते ही एक प्रधान का पहले से फ्रीज किया गया बैंक खाता फौरन शुरू करा दिया गया. इस पर डीएम ने कड़ी नाराजगी जताई. यह प्रधान वर्ष 2008 में रिश्वत मामले में फंसे थे और सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान बने. बाद में रिश्वत केस में जेल भी गए और 14 महीने बाद जेल से छूटे. डीएम ने इस मामले की जांच के निर्देश डीपीआरओ को दिए हैं.
लेखपाल की लापरवाही पर फूटा डीएम का गुस्सा
खानपुर डांडों गांव के एक शिकायतकर्ता ने लेखपाल की शिकायत की. डीएम ने मौके पर ही फोन कर लेखपाल से बात करने की कोशिश की लेकिन लेखपाल ने तीन बार कॉल करने पर भी फोन नहीं उठाया. इसके बाद डीएम ने खुद अपने सीयूजी नंबर से कॉल किया, तो पहली ही घंटी में कॉल रिसीव हो गया. इस पर डीएम ने लेखपाल को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि आम जनता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
डीएम की कार घेर कर भूमिहीनों ने की पट्टे की मांग
यमुनापार के करछना, बारा समेत 37 गांवों की स्त्रीओं और पुरुषों ने डीएम की कार को घेर लिया और प्रदर्शन कर अपनी मांगें रखीं. डॉ. अंबेडकर वेलफेयर नेटवर्क के रामबृज गौतम के नेतृत्व में पहुंचे लोगों ने मांग की कि गांवों में जो प्रशासनी जमीनें अवैध कब्जे में हैं, उन्हें मुक्त कराकर भूमिहीनों को आवंटित किया जाए.
बताया गया कि ये सभी प्रदर्शनकारी 25 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय जाने की योजना बना चुके थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोक लिया. इसी सिलसिले में शुक्रवार को ये सभी डीएम के पास पहुंचे और प्रदर्शन किया. डीएम ने उनकी बात सुनने के बाद आश्वासन दिया कि मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी और जरूरतमंदों को प्राथमिकता दी जाएगी.
स्त्री चिकित्सक पर कार्रवाई के बाद 55 मरीजों का इलाज, नर्सिंग होम खोलने के निर्देश
करछना सीएचसी में तैनात संविदा स्त्री चिकित्सक पर पहले कार्रवाई हुई थी क्योंकि वह सीएचसी नहीं जा रहीं थीं और अंदावा स्थित अपने निजी नर्सिंग होम में बैठती थीं. जबकि उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये वेतन मिलता था. डीएम ने उनका वेतन रोकते हुए नर्सिंग होम सील करा दिया था और निर्देश दिया था कि जब तक वह एसआरएन के 50 गंभीर मरीजों का इलाज नहीं करतीं, तब तक उनका निजी क्लीनिक नहीं खुलेगा.
इस आदेश के बाद चिकित्सक ने 55 मरीजों का इलाज किया, जिसकी सूची, फोटोग्राफ और वीडियो डीएम को दिखाए गए. संतुष्ट होने पर डीएम ने उनका नर्सिंग होम फिर से खोलने के निर्देश दिए.
डीएम के एक्शन मोड में आने से प्रशासन में मची हलचल
पूरे दिन चली जनसुनवाई में डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ का सक्रिय और कड़ा रुख प्रशासनिक अमले के लिए एक स्पष्ट संदेश रहा. चाहे वह तहसीलदार हों, लेखपाल या डॉक्टर हर जिम्मेदार अधिकारी को जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करने पर अब सीधे कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
डीएम की इस विशेष जनसुनवाई ने न सिर्फ जनता को राहत दी, बल्कि प्रशासनी अमले को यह भी स्पष्ट संदेश दे दिया कि कार्य में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. भूमि विवाद, भ्रष्टाचार और जनसेवा में लापरवाही जैसे मामलों में अब जिलाधिकारी खुद मोर्चा संभाल चुके हैं.
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