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जमुई पुलिस के लिए सर दर्द बना हुआ था नक्सली रमेश टुडू

जमुई. बांका में मुठभेड़ में मारे गये नक्सली रमेश टुडू का जमुई में भी लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. रमेश टुडू जमुई पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ था. जमुई जिले में कई अलग-अलग मामलों में उसकी संलिप्तता रही है. रमेश टुडू ने वर्ष 2019 में जमुई जिले के चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र के घरवासन गांव स्थित रूपा चिमनी ईंट भट्ठे पर काम कर रहे तीन मजदूरों को अगवा किया गया था. इस घटना को भी रमेश टुडू ने ही अंजाम दिया था. रूपा ईंट भट्ठा में काम करने वाले रात्रि प्रहरी घरवासन निवासी नेपाली पासवान सहित लोडर झारखंड के देवघर जिले के सोनारायठाढ़ी थाना क्षेत्र के बसुबुटिया गांव निवासी मनोज यादव व रविंद्र पंडित को कुख्यात अपराधी रमेश टुडू उर्फ टेटूआ द्वारा अगवा कर लिया गया था. हालांकि पुलिस दबिश के कारण 36 घंटे बाद अगवा मजदूरों की रिहा करा लिया गया था.

कई बार चलाया गया था अभियान, नहीं आया था हाथ

रमेश टुडू को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार अभियान चलाया था, लेकिन रमेश कभी भी पुलिस के हाथ नहीं आ सका था. वर्ष 2019 में भी जिला पुलिस ने रमेश टुडू की गिरफ्तारी को लेकर ऑपरेशन हंट चलाया था. सूचना के बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चंद्रमडीह के जंगलो में हंट ऑपरेशन चलाया था.ऑपरेशन के नेतृत्व झाझा के तत्कालीन डीएसपी भास्कर रंजन कर रहे थे. ऑपरेशन में चकाई के घोरमो सीआरपीएफ 215 बटालियन,चकाई पुलिस एवं चंद्रमडीह पुलिस शामिल थी. गुप्त सूचना के आधार पर नक्सल इलाके के जोगमारिनी के जंगलों में हंट ऑपरेशन के दौरान पुलिस को बम एवं हथियार बनाने का सामान मिला था. जिसमे बम बनाने में प्रयुक्त किया जाने वाला उपकरण, पिस्टल बनाने का उपकरण बरामद किया गया था. ऑपरेशन चंद्रमडीह थाना के मंझली, बसबुटी इत्यादि सटे गांवो में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था. लेकिन इस दौरान भी रमेश टुडू पुलिस की पकड़ से भाग निकलने में कामयाब रहा था.

लंबा रहा है आपराधिक इतिहास

रमेश टुडू का आपराधिक इतिहास लंबा रहा है. 30 नवंबर 2011 को चन्द्रमंडी थाना में हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद 18 दिसंबर 2015 को हत्या और साजिश, 21 सितंबर 2018 को हत्या, 9 जनवरी 2019 को अपहरण, 28 फरवरी 2019 को पुलिस पर हमला और 24 मई 2019 को साजिश व विस्फोटक अधिनियम के तहत मामले दर्ज हुए. 6 मार्च 2016 को चकाई थाना में हत्या, 27 फरवरी 2017 को जसीडीह थाना में हत्या व डकैती, 23 दिसंबर 2013 को अपहरण, 17 नवंबर 2014 को चोरी व यूएपीए एक्ट और 13 जनवरी 2021 को आर्म्स एक्ट में केस दर्ज हुए. टुडू पर हत्या, अपहरण, डकैती और आर्म्स एक्ट जैसे 11 संगीन मामले दर्ज थे.

रमेश टुडू पर चंद्रमंडीह थाने में दर्ज हैं सात मामले, खुलकर करता था फिरौती का धंधा

चंद्रमंडीह-चकाई. थाना क्षेत्र के लिए आतंक का पर्याय रहे रमेश टुडू की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है. उसपर चंद्रमंडीह थाना में कुल सात मामले दर्ज हैं. अपहरण एवं फिरौती उसके लिए आम बात थी. कांड संख्या 103/11 दिनांक 30 नवंबर 2011 के तहत उसपर चिमनी भट्टा पर गोलीबारी कर एक व्यक्ति को घायल कर देने का मामला दर्ज किया गया था. वहीं कांड संख्या 103/15 दिनांक 18 दिसंबर 2015 को विवेका यादव हत्याकांड का आरोपित बनाया गया था. साथ ही कांड संख्या 69/18 दिनांक 21 सितंबर 2018 को कांग्रेस यादव हत्याकांड में भी उसका नाम आया था. कांड संख्या 3/19 दिनांक 9 जनवरी 2019 में उसपर धमनियां गांव निवासी प्रमोद राय का अपहरण फिरौती के लिए करने का आरोप लगा था. जबकि आर्म्स एक्ट एवं पुलिस पर हमला करने के आरोप में कांड संख्या 18/19 दिनांक 18 फरवरी 2019 को दर्ज किया गया था. साथ ही कांड संख्या 51/19 दिनांक 24 मई 2019 एवं कांड संख्या 15/21 दिनांक 13 जनवरी 2021 के तहत आर्म्स एक्ट एवं अन्य आरोप को लेकर मामला दर्ज कराया गया था.

लगभग एक दशक तक कायम रहा रमेश का आतंक

बांका जिला अंतर्गत कटोरिया थाना क्षेत्र के बुढ़ीघाट गांव निवासी मटरू टुडु का पुत्र रमेश टुडू उर्फ टेटुवा का आतंक जमुई जिला सहित पड़ोसी राज्य झारखंड के जसीडीह एवं देवघर में लगभग एक दशक तक रहा. खासकर चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र सहित आस-पास के थाना क्षेत्र में घटित दर्जनों छोटी बड़ी घटनाओं में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसका नाम आया. यही कारण था कि पुलिस के लिए वह सबसे बड़ा सर दर्द था. अकेले चंद्रमंडीह थाना में उसके विरुद्ध दर्ज सात मामले उसकी आपराधिक इतिहास को बताने के लिए काफी है. इसमें हत्या से लेकर अपहरण एवं फिरौती का मामला है. ईंट भट्टे से लेकर विभिन्न कारोबार में जुड़े व्यापारियों से फिरौती वसूलना उसका मुख्य धंधा बन गया था. हालांकि पिछले कुछ समय से जमुई पुलिस की लगातार बढ़ती दबिश के कारण वह बैकफुट पर आ गया था. खासकर नक्सलियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियानों से वह सुरक्षित ठिकाने की तलाश में अपना ठिकाना भी बदलता रहता था. लेकिन इसी बीच स्पेशल टास्क फोर्स को यह सूचना मिली कि रमेश कलोथर जंगल में छिपा हुआ है. जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसकी घेराबंदी कर उसे मार गिराया.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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