यूपी के प्रयागराज स्थित हिंदुस्तानीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की त्रिवेणी ब्रांच में एक रहस्यमयी तिजोरी रखी हुई है, जो बिहार के बेतिया राज की अंतिम महारानी जानकी कुंवर की बताई जाती है. सालों से बंद इस तिजोरी को लेकर अब बिहार प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है. इस तिजोरी में 200 करोड़ रुपये से भी अधिक मूल्य के हीरे, सोने के आभूषण और ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद हैं. प्रशासन इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने के उद्देश्य से तिजोरी खोलने की प्रक्रिया में जुट गई है.
जानकी कुंवर के नाम पर है खाता
बेतिया राजघराने की कई कहानियां आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती हैं. बेतिया के आखिरी राजा हरेंद्र किशोर सिंह की दूसरी पत्नी जानकी कुंवर के नाम पर प्रयागराज में मौजूद यह तिजोरी एक समय से लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बनी हुई थी. बताया जाता है कि जानकी कुंवर ने अपने जीवन के अंतिम समय प्रयागराज में बिताए और वहीं उन्होंने अपनी बहुमूल्य वस्तुएं बैंक की तिजोरी में सुरक्षित रखवा दी थीं. अब बिहार प्रशासन उनके अवशेषों, दस्तावेजों और गहनों को राज्य की संपत्ति मानते हुए संग्रहालय में रखने की योजना बना रही है.

नवरत्न हार, चंद्रहार समते हो सकते है ये गहन
इस तिजोरी में क्या-क्या हो सकता है, इसे लेकर कई ऐतिहासिक दस्तावेज सामने आए हैं. बेतिया राज के अभिलेखागारों में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, 1939 में जानकी कुंवर के जीवनकाल में ही कई कीमती गहने और जवाहरात तत्कालीन राज प्रबंधकों ने इंपीरियल बैंक की इलाहाबाद और पटना शाखाओं में जमा करवा दिए थे. उसी कड़ी में प्रयागराज की एसबीआई शाखा में यह विशेष तिजोरी रखी गई थी. इसमें मोतियों की मालाएं, नवरत्न हार, स्वर्ण जड़ित पलंग, चंद्रहार और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं होने की संभावना जताई जा रही है.

प्रशासन ने किया है हाई लेवल कमेटी का गठन
राजस्व परिषद ने इस तिजोरी को खोलने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में उच्च स्तरीय अधिकारी जैसे मुख्य राजस्व अधिकारी, एसडीएम, एसीपी और एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. उनके समक्ष यह तिजोरी खोली जाएगी, ताकि सभी वस्तुओं का विधिवत आकलन और सूचीकरण किया जा सके. तिजोरी की पुष्टि हो जाने के बाद एसबीआई के प्रयागराज स्थित क्षेत्रीय प्रबंधक और पटना के उपमहाप्रबंधक को इस कार्य को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. बैंकों द्वारा अब उन बक्सों को खोलने की तैयारी शुरू कर दी गई है जिनमें यह खजाना रखा गया है.
अप्रैल में ही खोल दिया जाएगा खजाना
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए यह तिजोरी किसी खजाने से कम नहीं है. इसमें छिपे आभूषण और दस्तावेज न केवल बेतिया राजघराने की भव्यता को दर्शाते हैं, बल्कि ब्रिटिश काल के दौरान की गई व्यवस्थाओं और रियासतों के तौर-तरीकों का भी प्रमाण हैं. उम्मीद है कि इसी अप्रैल में ही तिजोरी का ताला खोल दिया जाएगा.
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दिलचस्प रही है राजघराने की कहानी
जानकी कुंवर का जीवन भी काफी दिलचस्प रहा. राजा हरेंद्र किशोर सिंह ने उनसे दूसरी शादी की थी लेकिन दुर्भाग्यवश विवाह के मात्र 22 दिन बाद 26 मार्च 1893 को राजा का निधन हो गया. राजा की पहली पत्नी रतन कुंवर ने कुछ समय तक राजभार संभाला लेकिन उनका भी 24 मार्च 1896 को देहांत हो गया. इसके बाद जानकी कुंवर ने प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालनी चाही लेकिन अंग्रेजों द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. तब वे प्रयागराज में जाकर रहने लगीं और वहीं 24 नवंबर 1954 को उनका निधन हुआ. अब जब यह तिजोरी खुलने जा रही है, तो यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह खजाना न केवल एक रानी की निजी धरोहर है, बल्कि बिहार और हिंदुस्तान के इतिहास की एक अनमोल विरासत भी है, जो अब दुनिया के सामने आने को तैयार है.
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