केंद्र प्रशासन ने टेलीकॉम सेक्टर में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया कि सिर्फ दो कंपनियों- जियो और एयरटेल का वर्चस्व (Jio Airtel Dominance) स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए ठीक नहीं है. इसी को संतुलित करने के लिए प्रशासन ने 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को बिना लाइसेंस के उपयोग की अनुमति देने का फैसला किया है, जिसे 15 अगस्त से लागू किया जाएगा.
इस पहल से देशभर में हाई-स्पीड, किफायती वाई-फाई नेटवर्क की उपलब्धता बढ़ेगी, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में. यह कदम छोटे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेक स्टार्टअप्स को नयी उम्मीद देगा और साथ ही बड़े खिलाड़ियों को सीधी चुनौती भी.
सिंधिया ने कहा कि प्रतिस्पर्धा जरूरी है ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर और सस्ती सेवाएं मिल सकें. बीएसएनएल और वोडाफोन आइडिया जैसे खिलाड़ी अभी कमजोर स्थिति में हैं, ऐसे में स्पेक्ट्रम की यह नयी व्यवस्था उद्योग को फिर से सशक्त बनाएगी.
प्रशासन सैटेलाइट कम्युनिकेशन को भी बढ़ावा दे रही है. सिंधिया ने बताया कि इस सेगमेंट में स्पेसएक्स की स्टारलिंक और रिलायंस की जियोस्पेस जैसी कंपनियां रुचि ले रही हैं. प्रशासनिक स्तर पर स्पेक्ट्रम आवंटन से सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में भी इंटरनेट पहुंच संभव हो पाएगी.
प्रशासन की मंशा स्पष्ट है- इंटरनेट की पहुंच केवल शहरों तक सीमित न रह जाए, बल्कि देश के हर नागरिक तक इसका लाभ पहुंचे.
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