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जिले के हर प्रखंड और पंचायत में खुलेगा मछली बाजार

अरवल.

शहरी क्षेत्र सहित प्रखंड के मछली विक्रेताओं को मछली बेचने के लिए अब इधर उधर सड़क किनारे जगह नहीं तलाशना पड़ेगा. एक ही छत के नीचे मछली बेचने की व्यवस्था होगी. जिले के नगर परिषद व नगर पंचायत क्षेत्र सहित प्रखंड के बाजारों में मछली बिक्री के लिए व्यवस्थित बाजार बनेगा. सात निश्चय-2 के तहत मुख्यमंत्री मत्स्य विपणन योजना के तहत मत्स्य बाजार निर्माण के लिए कवायद शुरु कर दी गयी है. पहले चरण में नगर परिषद व नगर पंचायत सहित प्रखंड के बाजारों में जगह चिन्हित किया जा रहा है. जगह चिन्हित करने के बाद इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद बाजार निर्माण की दिशा में प्रक्रिया शुरु होगी. बाजार निर्माण का काम नगर परिषद व नगर पंचायत के जिम्मे होगा.मालूम हो कि मछली के लिए अरवल मशहूर है. सोन नदी के बचवा मछली के लिए दूर दूर से लोग आते है. करीब दो सौ से अधिक मछली बिक्रेता है जो सड़क किनारे, सिपाह पुल, उमैराबाद, बैदराबाद सहित अलग अलग जगहों पर दुकान लगाते है.मछली बिक्रेताओं खुले में मछली बेचना पड़ता है. सर्दी गर्मी बरसात के मौसम में व्यापारियों के लिए कठिन होता है. खुले में मछली जल्दी खराब भी होता है. स्थायी बाजार नहीं रहने के कारण अपने व्यापार को ठीक से चलाने में असमर्थ है. बारिश में मछलियां सड़ने लगती है. वही गर्मी में गंध फैलता है. जिससे ग्राहकों कि संख्या में कमी आ जाती है. वैसे बाजार में आज भी मछली खरीदने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हालांकि मछली व्यवसायियों के लिए बाजार में कोई चिन्हित जगह नहीं है. इस कारण उन्हें सड़क किनारे ही मछली बेचनी पड़ती है. यहां प्रतिदिन लगभग 200 दुकानें सड़क किनारे लगती हैं. बाजार होने के बाद भी यहां विकास के नाम पर कुछ भी दिखाई नही पड़ता. विभाग द्वारा जिले के पांच प्रखंडों में पूर्व से ही मछली बाजार के लिए जगह चिह्नित किया जा चुका है. मत्स्य विपणन योजना के तहत जिले में बनाये जाने वाले मछली बाजार आज तक सरजमीं पर नहीं उतर सके, जिसका सबसे बड़ा नुकसान मछली खाने वाले शौकीन मांसाहारियों काे हो रहा है. क्योंकि, व्यवस्थित बाजार नहीं होने के कारण लोग मछली खरीदने के लिए अलग अलग मुर्गा, मांस और मछली बेचने वाले जगहों पर जाकर मछली खरीदते हैं. जहां दुकानदारों द्वारा विभिन्न प्रजाति की मछलियों की कीमत अलग-अलग रखी जाती है. मछलियों की छोटे दुकान या मंडी होने के कारण मछली की कीमत की प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है और विभिन्न तरह की मछली की प्रजातियां भी नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में दुकानदारों द्वारा अलग-अलग रेट पर मछली बेचकर मनमाना दाम भी वसूला जाता है. अगर मछली बाजारों को स्थापित कर दिया जाये तो एक ही बाजार में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों की कीमत प्रतियोगिता के कारण उचित रेट पर आ सकती है और उपभोक्ताओं को ताजा मछलियां खाने को मिल सकती हैं. मगर, फिलहाल जिले में इस तरह की सुविधा प्राप्त नहीं है.

पार्किंग की समस्यामछली विक्रेताओं की समस्या केवल खुले में व्यापार करने तक ही सीमित नहीं है. एक और बड़ी समस्या पार्किंग की है. नहर रोड उमेराबाद और सिपाह पर ग्राहकों को सड़क किनारे ही वाहन खड़ा कर मछली खरीदना पड़ता है. जिससे दुर्घटना का भी आशंका बनी रहती है और सड़क जाम भी रहता है.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

पंचायतस्तर एवं प्रखंड स्तर पर और जिलास्तर पर मछली बाजार बनना है. मत्स्यजीवी संघ द्वारा कुछ जगहों पर जमीन का चयन किया गया है, जो विभाग को भेजा गया है. अभी जिलास्तर पर जमीन नहीं मिला है-सुनील कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, अरवल

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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