केनगर. नगर पंचायत चंपानगर के दुर्गा मंदिर परिसर में दस दिवसीय राम कथा एवं शिव कथा के 9वें दिन कथा वाचक वृंदावन के सरल संत नारायण दास जी महाराज ने धनुष यज्ञ एवं राम विवाह का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था. जो एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दी थी. उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था. उसी दिन राजा जनक ने प्रतिज्ञा लिया कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी से मेरी पुत्री सीता का विवाह होगा. उन्होंने कहा कि धनुष यज्ञ में पहुंचे राजाओं ने शिव धनुष को तोड़ने की खूब जोर आजमाइश की लेकिन शिव धनुष टस से मस नहीं हुआ. ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर रामचंद्रजी के बिजली की चमक मात्र पल में शिव धनुष को पकड़ते ही शिव धनुष टूट गया. वृंदावन के सरल संत नारायण दास जी महाराज ने कहा कि ज्ञान, भक्ति और वैराग्य में कौन सा मार्ग उत्तम है. इन तीनों को पूर्णतः अलग नहीं किया जा सकता है. जिसको संसार से विराग नहीं होगा, उसको प्रभु पद में अनुराग नहीं होगा. फिर वह भक्ति क्या करेगा. यदि ज्ञान ही न हो भक्ति किनकी करें, कैसे करें, तो वह क्या करेगा. जैसे चिड़िया को आकाश में उडने के लिए तीन चीजें चाहिए पग, पर और पूंछ. एक के अभाव में वह उड नहीं सकती. उसी तरह भक्ति में भी तीन बातें जरूरी है ज्ञान, वैराग्य और योग.
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