कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एसएससी के माध्यम से नियुक्त करीब 26 हजार शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द कर दी है. इसी बीच, कलकत्ता हाइकोर्ट ने उत्तर बंगाल के गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) क्षेत्र में अवैध रूप से शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सोमवार को न्यायाधीश विश्वजीत बसु की पीठ ने कहा कि क्या उत्तर बंगाल के जीटीए क्षेत्र में अवैध रूप से नियुक्त 313 शिक्षकों का वेतन रोका गया है या नहीं. अगर अब तक उनका वेतन नहीं रोका गया है तो 72 घंटे के अंदर उनका वेतन रोक कर अदालत में रिपोर्ट पेश करनी होगी. न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने राज्य प्रशासन के लिए 72 घंटे की समय सीमा तय कर दी है. न्यायाधीश ने राज्य की भूमिका पर सवाल उठाया कि किस प्रकार अदालती आदेशों का उल्लंघन करते हुए उनकी नियुक्ति की गयी. उन्होंने टिप्पणी की,‘क्या इन शिक्षकों को न्यूनतम प्रशिक्षण प्राप्त है? उनकी शैक्षिक योग्यता क्या है? अगर जीटीए अब कहे कि इन शिक्षकों के परिवार और बच्चों के बारे में थोड़ा सोचा जाना चाहिए तो इन अवैध नियुक्तियों की वजह से हजारों शिशु प्रभावित होंगे, उनके भविष्य के बारे में भी हमें सोचना होगा.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सीआइडी ने अदालत में जांच रिपोर्ट पेश की. इसके बाद ही न्यायाधीश ने कहा कि इन शिक्षकों का वेतन तत्काल रोक दिया जाना चाहिए.
आखिर राज्य प्रशासन अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों के वेतन का बोझ क्यों उठायेगी? मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी और उस दिन राज्य प्रशासन को अदालत के फैसले पर क्या कदम उठाया गया, इसकी जानकारी पेश करनी होगी.
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