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Colonel Sofiya Quraishi : जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश के लोगों को जानकारी दी, तो वह केवल सैन्य ब्रीफिंग नहीं दे रही थीं, बल्कि वह इतिहास बना रही थीं. हिंदुस्तानीय सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने वाली दो स्त्री अधिकारियों में से एक होने के नाते, उनकी आत्मविश्वासी और प्रभावशाली मौजूदगी ने पूरे देश का ध्यान खींचा. लेकिन इस पल का सबसे खास असर एक और स्त्री पर पड़ा. जी हां…उनकी जुड़वां बहन डॉ. शायना सुंसारा ने गर्व और भावुकता के साथ अपनी बहन को टीवी पर देश के सामने खड़े देखा. हिंदुस्तान टाइम्स ने इस संबंध में समाचार प्रकाशित की है.
सेना में जाने का सपना बचपन से देखतीं थीं कर्नल सोफिया कुरैशी
समाचार के अनुसार, शायना सुंसारा ने बताया कि वह और उनकी जुड़वां बहन कर्नल सोफिया कुरैशी एक सैन्य परिवार में पली-बढ़ीं. दोनों ने बचपन से ही सेना में शामिल होने का सपना देखा. उस समय भी जब स्त्रीओं को सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं थी, हमने ऐसा सपना देखा. सोफिया देश सेवा के लिए हमेशा रास्ता ढूंढ़ने को तैयार रहती थीं. वह अक्सर कहती थीं कि अगर सेना में जगह नहीं मिली, तो वह DRDO के जरिए वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करेंगी. अगर वह भी नहीं हुआ, तो पुलिस में शामिल होकर लोगों की सेवा करेंगी.
तुरंत टीवी ऑन करो, सोफिया की बहन से एक रिश्तेदार ने कहा
दोनों बहनें जनवरी में मिली थीं, लेकिन सोफिया ने तब नहीं पता था कि वह “ऑपरेशन सिंदूर” की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश को संबोधित करेंगी. शायना ने बताया कि उन्हें एक रिश्तेदार के फोन से यह समाचार मिली, जिसने कहा कि तुरंत टीवी ऑन करो. जब उन्होंने अपनी बहन को टीवी पर देश के सामने बोलते हुए देखा, तो वह पल बेहद भावुक था. सिर्फ पारिवारिक गर्व का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए यह गर्व का पल था. शायना ने ऑपरेशन के लिए हिंदुस्तान प्रशासन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की.
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ऐसा लगा झांसी की रानी खुद आ गईं : सोफिया कुरैशी की बहन
सोफिया का परिवार हिंदुस्तान की सैन्य और देशभक्ति की परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है. एक टैब्लॉयड के अनुसार, शायना सुंसारा ने बताया कि उनके पिता ने 1971 के बांग्लादेश युद्ध में हिस्सा लिया था. सोफिया के पिता भी अपने पिता के नक्शे-कदम पर चले थे, जो खुद भी सेना में थे. उनके चाचा बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में थे. उनके परदादा ने पहले ब्रिटिश आर्मी में सेवा की, फिर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. उनकी दादी अक्सर उस पूर्वज की कहानी सुनाती थीं, जिन्होंने 1857 की क्रांति में झांसी की रानी के साथ लड़ाई लड़ी थी. जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने “ऑपरेशन सिंदूर” की जानकारी दी, तो शायना को लगा जैसे झांसी की रानी की भावना फिर से जीवित हो गई हो. एक ऐसी वीरांगना जिनसे सोफिया हमेशा प्रेरणा लेती रही हैं.
डॉ. शायना सुंसारा कौन हैं?
डॉ. शायना सुंसारा अपनी जुड़वां बहन की तरह ही असाधारण हैं. वह एक सच्ची ऑलराउंडर हैं. शायना कई भूमिका में नजर आई. अर्थशास्त्री, पर्यावरणविद्, फैशन डिजाइनर, पूर्व सेना कैडेट और राइफल शूटिंग में स्वर्ण पदक विजेता (हिंदुस्तान के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित) वो हैं.
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