Rath Yatra| खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : खरसावां में इस वर्ष विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा व मठ-मंदिरों के रख-रखाव के लिए राज्य प्रशासन से कुल 15 लाख रुपये का आवंटन मिला है. इस राशि से हर वर्ष 10 अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जबकि शेष राशि का उपयोग मंदिर के मरम्मत और रख-रखाव पर खर्च किये जाते हैं. देश की आजादी के बाद से ही खरसावां को विभिन्न पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य प्रशासन की ओर से राशि उपलब्ध करायी जाती है. हालांकि शुरुआती दौर में काफी कम राशि मिलती थी, लेकिन वर्ष 2023-24 के बाद से थोड़ी राशि बढ़ायी गयी है. राज्यभर में केवल खरसावां को ही राज्य प्रशासन द्वारा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए यह राशि आवंटित की जाती है.
1948 में पहली बार मिले थे 5,587 रुपये
खरसावां को पहली बार वर्ष 1948 में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तत्कालिन राज्य प्रशासन से 5,587 रुपये का आवंटन मिला था. पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15 लाख रुपये का आंवटन मिला था. जबकि वर्ष 2023-24 में 15.80 लाख, वर्ष 2022-23 में 7.5 लाख और वर्ष 2021-22 में 5.5 लाख रुपये का आवंटन मिला था. इस वर्ष धार्मिक अनुष्ठानों के लिये प्राप्त राशि से विशेष तौर पर प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा पर जोर दिया जा रहा है. रथ यात्रा के दौरान श्रीजगन्नाथ संस्कृति से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जायेगा.
इन 10 धार्मिक अनुष्ठानों पर खर्च होती है राशि
खरसावां सीओ सिंकु के अनुसार राज्य प्रशासन के विधि विभाग से प्राप्त राशि से खरसावां में 10 पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है. इसमें मुख्य रुप से चड़क पूजा, चैत्र पर्व, रथ यात्रा, धुलिया जंताल पूजा, नुआखाई जंताल पूजा, इंद्रोत्सव, दुर्गा पूजा, काली पूजा के साथ-साथ मुहर्रम का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही प्रत्येक सप्ताह खरसावां के कुम्हारसाही स्थित पाउड़ी पीठ में मां पाउड़ी की पूजा की जाती है.
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दुर्गा पूजा में खर्च होते हैं करीब 1 लाख रुपये
खरसावां के मां पाउंडी के पीठ पर प्रत्येक सप्ताह पूजा होती है. इसमें प्रति माह करीब 20 हजार रुपये खर्च होते है. सालाना इस पूजा पर 2.60 लाख रुपये खर्च होते है. इसके अलावा दुर्गा पूजा में करीब 1 लाख रुपये खर्च होते है.
राशि के अभाव में कई वर्षों से नहीं हुआ चैत्र पर्व का आयोजन
इसके अलावा खरसावां में पहले प्रशासनी आवंटन से ही चैत्र पर्व का आयोजन होता था, लेकिन पिछले कई वर्षों से आवंटन की कमी और राशि के अभाव के कारण चैत्र पर्व का आयोजन नहीं रहा है. क्षेत्र के कलाकार फिर एक बार फिर से चैत्र पर्व के आयोजन की मांग कर रहे है.
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