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टीनएजर्स को जहरीला कर रहा ”डिजिटल ड्रग”, चैटरूम में ब्रेन वॉश कर सिखा रहे गंदी आदतें

– पोर्नोग्राफी से लेकर चोरी और रुपये कमाने का झांसा देकर करते है ठगी

– सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर चैट रूम होता है एक्टिव

– चैट रूम में फंस कर ज्यादातर शहर के युवा को ट्रेडिंग के नाम पर बनाया जा रहा शिकार

– मिठनपुरा और सिकंदरपुर के दो प्रतिष्ठित स्कूल के छात्र कर चुके हैं सुसाइड का प्रयासचंदन सिंह, मुजफ्फरपुरसोशल मीडिया का डिजिटल जाल अब मुजफ्फरपुर शहर के टीनएजर्स को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. साइबर अपराधी इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर सक्रिय चैट रूम के माध्यम से किशोरों का ब्रेन वॉश कर उन्हें ”गंदी आदतों” का शिकार बना रहे हैं. पोर्नोग्राफी से लेकर चोरी और मोटी कमाई का लालच देकर उन्हें ठगी के दलदल में धकेला जा रहा है. यह एक खतरनाक ट्रेंड है, जो शहर के प्रतिष्ठित परिवारों के युवाओं को भी नहीं छोड़ रहा. महानगर के बाद यह जाल मुजफ्फरपुर शहर में तेजी से फैल रहा है. 15 दिनों के अंदर में चैट रूम के गिरफ्त में आए दो किशोर ने सुसाइड का भी प्रयास किया. वहीं, एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाले 11 वीं का छात्र घर छोड़कर चला गया. काफी खोजबीन करने पर वह 24 घंटे बाद वह वापस लौटा. मनोचिकित्सक एके झा का कहना है कि चैट रूम के शिकार आधा दर्जन से अधिक शिशु उनके यहां काउंसलिंग के लिए आ रहे हैं.

चैट रूम : अपराध की नई पाठशाला

साइबर अपराधी इन गुप्त चैट रूम को अपराध की पाठशाला बना चुके हैं. सबसे पहले वे रुपये कमाने का झांसा या महंगे गिफ्ट का लालच देकर युवाओं को आकर्षित करते हैं. एक बार जब टीनएजर्स इनके जाल में फंस जाते हैं, तो अपराधी धीरे-धीरे उनका ब्रेन वॉश करना शुरू कर देते हैं. शुरुआत में, ”ट्रेडिंग” या ”ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट” के नाम पर उनसे छोटी रकम जमा करवाई जाती है. जब टीन एजर्स पैसे गंवाते हैं या ठगी का विरोध करते हैं, तो उन्हें पोर्नोग्राफी जैसी आपत्तिजनक सामग्री से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है. विरोध करने पर ब्लैकमेलिंग और निजी जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी दी जाती है. साइबर अपराधी कई बार तो परिवार के सदस्यों के बैंक अकाउंट से चोरी करने या फिर दोस्तों-रिश्तेदारों को ठगने के तरीके भी सिखाते हैं.

सुसाइड का प्रयास, कई छात्र घर छोड़कर भागा शहर के मिठनपुरा और सिकंदरपुर इलाके के दो प्रतिष्ठित स्कूल के छात्र इन चैट रूम के जाल में बुरी तरह फंस गए थे. मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित और ब्लैकमेल होने के बाद, दोनों छात्रों ने सुसाइड का प्रयास किया. गनीमत रही कि समय रहते परिवार को इस बात का पता चल गया और उन्हें बचा लिया गया. इस घटना ने न केवल स्कूलों को, बल्कि पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, ऐसे कई गुमनाम मामले हैं जिनमें 14 से 17 साल के शिशु ट्रेडिंग के नाम पर शिकार बन रहे हैं.टीनएजर्स सावधान रहें, सतर्क रहेंसाइबर विशेषज्ञ अनिकेत पीयूष ने टीनएजर्स के माता-पिता के साथ-साथ खुद किशोरों को भी जागरूक होने की सलाह दी है. अज्ञात दोस्ती से बचें: सोशल मीडिया पर किसी भी अजनबी की फ्रेंड रिक्वेस्ट या मैसेज स्वीकार न करें.

प्रलोभन को पहचानें: जल्दी अमीर बनने के किसी भी लालच या ऑनलाइन गिफ्ट के झांसे में न आएं. ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर पैसे मांगने वाले लगभग सभी लोग फ्रॉड होते हैं.

निजी जानकारी सुरक्षित रखें: अपनी कोई भी निजी फोटो, वीडियो, बैंक डिटेल या ओटीपी किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें.

ब्लैकमेलिंग होने पर चुप न रहें: यदि कोई आपको ब्लैकमेल करता है या धमकी देता है, तो डरें नहीं. तुरंत अपने माता-पिता, किसी विश्वसनीय शिक्षक या पुलिस से बात करें.

साइबर हेल्पलाइन: किसी भी साइबर क्राइम की शिकायत के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें.बयान:: साइबर अपराधी टीन एजर्स को अपने जाल में ट्रैप कर रहे हैं. चैट रूम का इसमें काफी योगदान है. कई शिशु अपने माता- पिता के खाते से मोटी रकम भी उड़ा देते हैं. ग्रामीण इलाके से भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. हिमांशु कुमार, साइबर डीएसपी

डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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