संवाददाता, कोलकाता
आरजी कर कांड को लेकर एक बार फिर डॉक्टर एवं नर्सिंग संगठनों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया. सोमवार को मेडिकल सर्विस सेंटर, सर्विस डॉक्टर फोरम और नर्सेस यूनिटी के सदस्यों ने सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआइ दफ्तर का घेराव किया. इससे पहले सॉल्टलेक के सेंट्रल पार्क मेट्रो स्टेशन से सीबीआइ दफ्तर तक रैली निकाली.
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि सात महीने बाद भी सीबीआइ पूरक आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर पायी है, जबकि अब सुप्रीम कोर्ट की अनुमति पर कलकत्ता हाइकोर्ट अभया कांड की सुनवाई करेगा. ऐसे में मेडिकल सर्विस सेंटर, सर्विस डॉक्टर्स फोरम और नर्सेज यूनिटी के नेतृत्व में केंद्र प्रशासन की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ के सीजीओ कॉम्प्लेक्स का घेराव और विरोध प्रदर्शन किया. मौके पर उपस्थित मेडिकल सर्विस सेंटर के राज्य समिति के सचिव डॉ. बिप्लब चंद्रा ने कहा- सात महीने बाद भी अभया का असली हत्यारा कौन है, इसका जवाब लोगों को नहीं मिल पाया है. .
पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सीबीआइ को सौंपा ज्ञापन : दूसरी ओर सर्विस डॉक्टर फोरम के कोषाध्यक्ष डॉ सपन विश्वास ने बताया कि पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सीबीआइ कार्यालय में ज्ञापन सौंपने गये थे. इनमें डॉ बिप्लब चंद्रा, डॉ सजल विश्वास, सिस्टर भास्वती मुखर्जी, कल्पना दत्ता शामिल थे. उन्होंने बताया कि हमारे इस अभियान में नागरिक समाज के लोग भी जुड़े थे. इस घेराव अभियान के दौरान दो सौ से अधिक डॉक्टर, नर्स सह अन्य स्वास्थ्यकर्मी और नागरिक समाज के लोग जुड़े थे. वहीं रैली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स के प्रवेश द्वार तक पहुंचने के कुछ पहले ही रोक दिया गया. जिसके कारण पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हल्की झड़प और हाथापाई भी हुई. इस दौरान सीबीआइ की विशेष अपराध शाखा के एक डीएसपी स्तर के अधिकारी ने बताया कि उनके पास करने के लिए और कुछ नहीं हैं. पर जांच चल रही है. इसलिए इस मामले की जांच कर रहे अन्य जांच अधिकारी दिल्ली दोबारा दिल्ली चले गये हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि कोलकाता पुलिस की तरह सीबीआई भी अभया मामले की जांच के प्रति काफी उदासीन है और हमें डर है कि वह कहीं न कहीं सच छिपाने की कोशिश कर रही है.
पीड़ित परिवार ने एसआइटी गठित करने की मांग की
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट में सोमवार को आरजी कर मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार ने सीबीआइ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम (एसआइटी) बनाने की मांग की. पीड़ित परिवार के वकील ने हाइकोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि सीबीआइ से एक स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) मांगी जाये. वहीं, बंगाल प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील कल्याण बनर्जी ने सीबीआइ पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई इतनी धीमी गति से क्यों काम कर रही है? इसमें देरी क्यों हो रही है? पहले सीबीआइ बहुत तेजी से काम करती थी, अब धीमी क्यों हो गयी है? कल्याण बनर्जी ने कहा कि सीबीआइ लगभग एक साल में मामले की जांच पूरी नहीं कर पायी. ऐसा क्यों? देश जानना चाहता है. वहीं, लीगल सर्विस की ओर से कहा गया, ””कृपया दोषी को भी इस मामले में पक्षकार बनायें, क्योंकि अगर कोर्ट कोई आदेश देता है तो इससे दोषी को नुकसान हो सकता है. यह उसका अधिकार है.”” इस बात पर सीबीआइ ने जवाब दिया कि अब वह पक्ष नहीं बन सकता, दोषी को यह अधिकार नहीं है.
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