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तापमान के बढ़ते ही घटने लगी सोन नदी की पानी

प्रतिनिधि, हरिहरपुर पिछले करीब एक सप्ताह से प्रचंड गर्मी की वजह से इलाके की लाइफ लाइन कही जानेवाली सोन नदी सूखने लगी है. गौरतलब हो कि बिहार व झारखंड के बीच बहने वाली इस नदी के तटवर्ती इलाके में दोनों तरफ करीब 100 गांव बसे हैं. जिसका इसी नदी की पानी से जल स्तर बना रहता है. जो मई महीने के शुरुआत में ही नदी की पानी भूमिगत होना शुरू हो गया. जिससे सोन तटवर्ती इलाकों में अभी से ही इसका अवसर दिखने लगा. जलस्तर कम होने से कोसडीहरा, मेरौनी, लोहरगडा, हूरका, गुरूर व महुआधाम सहित दर्जनों गांवों के लोगों ने बताया कि चापाकल व समरसेबुल से पानी कम आने लगा है. कुछ जलमीनारों के बोर का जलस्तर भी घटने लगा है. यह स्थिति देख स्थानीय ग्रामीण अभी से चिंतित नजर आ रहे हैं. इस संबंध में स्थानीय निवासी प्रो वीरेंद्र विश्वकर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से अप्रैल माह में ही नदी में पानी समाप्त होने लगा है, इसे ध्यान में रखते हुए अभी से ही लोगों को सचेत एवं जागरूक होने की जरूरत है. सबको जल संचय करना होगा. आवश्यकतानुसार जल का प्रयोग करें तथा बेकार में पानी न बहाये. हरिहरपुर के सेवानिवृत्त शिक्षक ईश्वरी प्रसाद सिंह ने कहा कि जो भी जल स्त्रोत हैं, वहां जल संरक्षण को ध्यान में रख कर पानी का उपयोग करें. ऐसा करके ही जल समस्या से निबटा जा सकता है. साथ ही चापाकल के पास सोखता बनाना अति आवश्यक है. यह सब तेज गर्मी का नतीजा है. हम हम सभी को अभी से ही जल संरक्षण अथवा जल संचय के प्रति सजग रहने की जरूरत है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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