जमालपुर. सरस्वती शिशु मंदिर सफिया बाद में तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला का समापन हो गया. तीसरे दिन वंदना प्रमुख कृति कमल ने पूर्ण वंदना अभ्यास करवाई. विद्यालय के प्रधानाचार्य विमल कुमार सिंह, कार्यालय प्रमुख शशिकांत सिंह, आचार्य पंकज कुमार चौधरी ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर समापन समारोह का उद्घाटन किया. आचार्य को संबोधित करते हुए बताया गया कि किसी समाज में विद्यालय आवश्यक क्यों होता है. उन्होंने बताया की आवश्यकता आविष्कार की जननी है. मनुष्य जब किसी आवश्यकता का अनुभव करता है. उसे समय उसकी पूर्ति के लिए किसी विचार या धारणा का जन्म होता है. समाजशास्त्रीय संबंध में सामाजिक संस्था वह सामाजिक संरचना तथा यंत्र है. जिसके माध्यम से मानव समाज मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विविध क्रियो को संगठित निर्देशित एवं क्रियान्वित करता है. इस क्रियान्वयन में विद्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. एक आचार्य आचरण से बनता है और हमारा आचरण समाज हित में होना चाहिए, क्योंकि गुरु हुई एक ऐसे साधन है. जो समाज को अंधेरे से उजाले की ओर ले जा सकते हैं. मौके पर आचार्य प्रदीप, कन्हैया, मुकेश, अमित, प्रियसी, प्रिया, सावित्री, पूनम, सीमा, ममता आदि मौजूद थी.
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