Bihar News: मुजफ्फरपुर. मलेशिया के मोनास्क यूनिवर्सिटी के एशियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइकोलॉजी ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के साथ बगहा के थारू जनजाति पर शोध करने संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. बीआरएबीयू में पहली बार ऐसा कोई अध्ययन होगा, जिसमें विदेशी संस्था भी शामिल है. विभाग के अध्यक्ष प्रो. गुप्ता ने बताया कि इस परियोजना में थारू जनजाति की बौद्धित क्षमता और उनकी संवेदनात्मक मनोवैज्ञानिक स्थिति का अध्ययन किया जाएगा. यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रजनीश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस अध्ययन में थारू जनजाति के अलावा उनके आसपास रहनेवाले सामान्य लोगों से हमारी टीम बात करेगी और यह जानने की कोशिश करेगी कि वह लोग थारू जनजाति के बारे में क्या सोचते हैं. इसके अलावा हम इस अध्ययन में देखेंगे कि थारू जनजाति के सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति में क्या बदलाव आया है.
हर गुरुवार मुजफ्फरपुर से शोध टीम जायेगी बगहा
यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रजनीश कुमार गुप्ता के निर्देशन में तीन सदस्यीय टीम तैयार की गई है. इस टीम में डॉ. रेखा, डॉ. तूलिका और शोध छात्रा रजनी कुमारी शामिल हैं. मलेशिया से भी शोधकर्ता आएंगे. प्रो गुप्ता ने बताया कि थारू जनजाति पर अध्ययन करने के लिए हर गुरुवार को बीआरएबीयूकी टीम बगहा जाएगी. यह टीम वहां जाकर जनजाति के लोगों से मुलाकात कर उनके रहन-सहन, पढ़ाई-लिखाई और किसी विषय के बारे में उनकी क्या राय इसकी जानकारी एकत्र करेगी. थारू जनजाति के लोगों को बीआरएबीयू की टीम 50 सवालों का पत्र देगी. इसके माध्यम से उनसे उनके समाज और बाहर लोगों के बारे में उनकी सोच के बारे में पता लगाया जाएगा. इन्हीं सवालों के आधार पर इस अध्ययन की रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
साइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष जाएंगे मलेशिया
शुरुआती जानकारी एकत्र करने के बाद थारू जनजाति पर विशेष अध्ययन के लिए साइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष मलेशिया के मोनास्क विवि जाएंगे और थारू जनजाति के बारे में वहां जानकारी देंगे. बीआरएबीयू की टीम जो काम करेगी उसके बारे में भी विभागाध्यक्ष वहां बताएंगे. इसके बाद मोनास्क विवि की टीम बगहा आकर बीआरएबीयूके साथ काम शुरू करेगी. प्रो गुप्ता ने बताया कि हमारे अध्ययन का विषय थारू जनजाति के बीच आत्म सम्मान का बोध, उनकी संवेदानत्मक बुद्धि और शैक्षिक क्षमता का मनोवैज्ञानिक आकलन है. थारू, नेपाल और हिंदुस्तान के सीमावर्ती तराई क्षेत्र में पाई जानेवाली एक जनजाति है. पश्चिम चंपारण जिले में इनकी आबादी एक लाख से अधिक है. इस जनजाति के 25 हजार वोटर हैं. यह जनजाति बगहा के अलावा रामनगर और गौनाहा प्रखंड में है. बगहा की 25 पंचायतों में से 20 में इनकी बहुलता है. बीआरएबीयू की टीम थारू जनजाति की 300 लोगों पर अध्ययन करेगी.
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