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दर्शन के आधार पर ही विकसित भारत का सपना होगा साकार : पूर्व कुलपति

मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विषय के शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं की बैठक विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग में हुई, जिसमें दर्शनशास्त्र विषय के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष सह बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो ज्ञानंजय द्विवेदी ने की. उन्होंने कहा कि दर्शनशास्त्र सभी विषयों की जननी है. इस विषय के कारण ही हिंदुस्तान की दुनिया में विश्वगुरु के रूप में पहचान रही है. आगे हिंदुस्तानीय दर्शन को आधार बनाकर ही हम वर्ष 2047 तक विकसित हिंदुस्तान के सपनों को साकार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विशेष रूप से हिंदुस्तानीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इस दिशा में यह जरूरी है कि हम गुलामी की मानसिकता को छोड़कर अपनी सभ्यता, संस्कृति, इतिहास व दर्शन को आत्मसात करें. विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष देव प्रसाद मिश्र ने कहा कि दर्शनशास्त्र का ज्ञान हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता दिलाने में कारगर भूमिका निभा सकता है. इससे हमारे अंदर जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है और हम सही मायने में मनुष्य कहलाने के योग्य बनते हैं. वास्तव में दर्शन के ज्ञान के बगैर मानव जीवन अधूरा है. कार्यक्रम का संचालन करते हुये ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह अखिल हिंदुस्तानीय दर्शन परिषद के नवनियुक्त सहसचिव डाॅ सुधांशु शेखर ने कहा कि दर्शनशास्त्र में करियर की अपार संभावनाएं है. इस विषय को पढ़कर हम शिक्षण, पत्रकारिता, प्रशासन, नेतृत्व, समाजसेवा व व्यावसाय समेत अन्य क्षेत्रों में बेहतर सफलता प्राप्त कर सकते हैं. इस विषय की ओर छात्र-छात्राओं व अभिभावकों का ध्यान आकृष्ट कराने की जरूरत है. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय के अधिकतम शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं को अखिल हिंदुस्तानीय दर्शन परिषद व दर्शन परिषद बिहार का सदस्य बनाने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विषय से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में अधिकतम शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जायेगी. इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, चंदन कुमार, पवन कुमार, शशिकांत कुमार, साधू पासवान, राजहंस कुमार, शक्ति सागर कुमार, कुंदन कुमार , ललन कुमार, सुरेंद्र कुमार सुमन व बरुण कुमार आदि उपस्थित थे.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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