Indian Railways: जहां हिंदुस्तान में दिवाली और छठ पूजा जैसे त्योहारों के चलते ट्रेनों में भारी भीड़ और मारामारी का माहौल है. टिकट मिलना तो दूर, वेटिंग लिस्ट तक लंबी हो चुकी है — वहीं जापान से एक ऐसी अनोखी और भावुक कर देने वाली कहानी सामने आई है, जो सबका ध्यान खींचती है.
जापान में सिर्फ एक छात्रा के लिए चलती रही ट्रेन
यह मामला जापान के होक्काइडो द्वीप का है. साल 2016 में यहाँ स्थित क्यु-शिराताकी स्टेशन को बंद करने का फैसला लिया गया था, क्योंकि इस इलाके की आबादी तेजी से घट रही थी और यात्री न के बराबर रह गए थे. लेकिन उसी समय वहां की एक छात्रा काना हराडा के लिए यह स्टेशन जीवन रेखा बन चुका था.
काना हराडा पास के एक स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं और स्टेशन से ट्रेन ही उनका एकमात्र साधन था. जैसे ही स्टेशन को बंद करने की घोषणा हुई, काना ने ट्रेन ऑपरेटिंग कंपनी से अपील की कि अगर स्टेशन बंद हुआ तो वह स्कूल नहीं जा सकेगी और उसकी पढ़ाई अधूरी रह जाएगी.
शिक्षा के लिए तीन साल तक चली एक पैसेंजर ट्रेन
इस अपील को गंभीरता से लेते हुए रेलवे कंपनी ने तीन साल तक केवल एक छात्रा के लिए इस स्टेशन को चालू रखा. ट्रेन हर दिन सुबह उसे स्कूल छोड़ने और शाम को वापस लाने आती थी. अधिकांश समय ट्रेन में काना ही एकमात्र यात्री होती थी, लेकिन उसके लिए यह सेवा जारी रही.
जापान की घटती आबादी बनी स्टेशन बंद होने की वजह
होक्काइडो द्वीप की आबादी घटकर सिर्फ 36 लोगों तक सीमित रह गई थी. ऐसे में रेलवे कंपनी के लिए स्टेशन को चालू रखना आर्थिक रूप से घाटे का सौदा था. यात्रियों की संख्या इतनी कम हो चुकी थी कि ट्रेन संचालन और स्टेशन में होने वाले खर्च को वहन करना मुश्किल हो गया था. फिर भी, शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कंपनी ने तीन साल तक स्टेशन को बंद नहीं किया.
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