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देश को भाया नीतीश कुमार का बिहार मॉडल, स्कूली शिक्षा व्यवस्था में आया बुनियादी बदलाव

Unnayan Bihar model: पटना. बिहार से स्कूली शिक्षा व्यवस्था जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के साथ नीतीश कुमार की प्रशासन ने शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. ‘उन्नयन बिहार’ मॉडल इसी के तहत एक बड़ा प्रयास है, जिसकी गूंज अब देश के अन्य राज्यों में भी है. बिहार में इस स्कीम के तहत हर घर तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने और परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए शिक्षा विभाग ने खास प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. सीए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली प्रशासन की स्कीम की शुरुआत सबसे पहले बिहार में सर्वप्रथम बांका जिला प्रशासन ने उन्नयन मॉडल की शुरुआत की. स्कूल में उपलब्ध टी0वी0 और मोबाइल फोन की मदद से बच्चों को शिक्षित करने का काम किया जा रहा है.

वर्चुअल क्लासरूम में तब्दील ‘मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय’

उन्नयन मॉडल में पढ़ाई को सरल और सुलभ बनाने के लिए थ्री डी मल्टीमीडिया बेस्ड कंटेंट वीडियो और वीएफएक्स का समायोजन किया जाता है. इस मॉडल से ‘मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय’ वर्चुअल क्लासरूम में तब्दील हो रहा है. अब प्रशासनी स्कूलों में भी स्मार्ट क्लासेज में कंप्यूटर और प्रोजेक्टर के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. प्रशासनी रिपोर्ट के मुताबिक, 15 अगस्त, 2017 को पायलट प्रोजेक्ट के तहत बांका जिले के 5 प्रशासनी स्कूलों से ‘उन्नयन बिहार मॉडल’ की शुरुआत की गई थी और 5 सितंबर, 2019 से बिहार के 6 हजार स्कूलों में यह मॉडल संचालित होने लगा है. 28 लाख से अधिक शिशु इस मॉडल से लाभान्वित हो रहे हैं.

देश के 6 अन्य राज्यों ने अपनाया मॉडल

‘उन्नयन बिहार’ मॉडल के लिए पाठ्यक्रम से संबंधित मैटेरियल का सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराया जाता है. राज्य में 115 करोड़ रुपये की लागत से 2379 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास निर्माण का कार्य पूरा हो गया है. स्मार्ट क्लास के संचालन हेतु विज्ञान शिक्षकों को राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद् से विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया है. माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की मॉनी‍टरिंग करने की जिम्मेवारी सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को दी गई है. स्मार्ट क्लास सुचारू रूप से चले, इसके लिए बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की गई है. बिहार का यह उन्नयन मॉडल देशभर में काफी लोकप्रिय हो रहा है. यह मॉडल देश के 6 अन्य राज्यों में भी संचालित हो रहा है, जिसमें झारखंड, उत्तराखंड, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश सहित अन्य राज्य शामिल हैं. एक सर्वे के मुताबिक उन्नयन प्रोजेक्ट आने से पहले महज 45.06 प्रतिशत शिशु ही स्कूल आते थे, लेकिन उन्नयन प्रोजेक्ट चालू होने के बाद बच्चों की उपस्थिति 80.40 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है.

पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का प्रयास

उन्नयन मॉडल के जरिए अलग-अलग डिजिटल माध्यमों से शिशु आसानी से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अभी के जेनरेशन के शिशु व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब जैसे मल्टीमीडिया के कंटेंट्स को आसानी से यूज कर रहे हैं, इसीलिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित चीजों को जोड़ कर उन्नयन मॉडल के जरिए पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का प्रयास किया गया है. दूरस्थ इलाकों में बच्चों तक क्वालिटी एजुकेशन पहुंचाना भी इसका उद्देश्य है. उन्नयन के तहत संचालित स्मार्ट क्लास पूर्ण होने के बाद बच्चों का प्रतिदिन और साप्ताहिक टेस्ट लिया जाता है और हर शिशु का डिजिटल रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों को जिस प्रकार अंक आते हैं उनके अनुसार फीडबैक भी दिया जाता है. टेस्ट ओएमआर शीट पर लिया जाता है और मोबाइल के माध्यम से स्कैन कर बच्चों का डिजिटल रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है.

वैश्विक स्तर पर मिला बिहार को सम्मान

कॉमनवेल्थ इंटरनेशनल इनोवेशन अवार्ड में बिहार आगे शाहपुर हाईस्कूल की मौसम रानी 10वीं की छात्रा थी और स्कूल जाने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त हो गई लेकिन फिर भी उसकी पढ़ाई नहीं छूटी बल्कि वह ‘मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय’ के माध्यम से उन्नयन ऐप पर पूरी कोर्स की पढ़ाई की और 86 प्रतिशत अंक मैट्रिक में लाई. यूनेस्को ने वैश्विक स्तर पर बिहार के उन्नयन मॉडल को सराहा तथा कॉमनवेल्थ इंटरनेशनल इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया. सिंगापुर और मॉरीशस को पछाड़कर बिहार ने उन्नयन हिंदुस्तान के लिए यह अवार्ड जीता। वहीं चैंपियन ऑफ चेंज सहित अब तक उन्नयन प्रोजेक्ट कई अवॉर्ड मिल चुके हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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