पटना: अहमदाबाद विमान हादसे में सवार सभी 242 लोगों की मौत के बाद पटना विमान हादसा की यादें ताजा हो गयी हैं. पटना में भी वर्ष 2000 में 17 जुलाई की सुबह एक बड़ा हवाई हादसा हुआ था, जब एलायंस एयर की कोलकाता से दिल्ली जा रही फ्लाइट सीडी-7412 पटना होते हुए लखनऊ होकर दिल्ली जा रही थी. तभी पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. विमान बोइंग 737-200 सुबह 06:50 बजे कोलकाता से उड़ान भरी थी और लगभग 07:34 बजे पटना में क्रैश हो गया. हादसे में दो पायलट, चार एयर होस्टेस और 49 यात्रियों समेत कुल 55 लोगों की जान चली गयी थी, जबकि पांच आम नागरिकों की भी मौत हुई थी.

भीड़ तक पहुंचते पहुंचते वह रोने लगी थीं मुख्यमंत्री राबड़ी देवी
उस हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यह हादसा मुख्यमंत्री निवास के पास ही गर्दनीबाग इलाके में हुआ था. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी इस घटना से स्तब्ध थीं और बदहवास हो चली थीं. एकदम तेज धमाका सा हुआ और आसपास के लोग जहां तहां भागने लगे. थोड़ी देर में भीड़ जमा हो गई. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी वहां पहुंच गईं. ऐसा लग रहा था कि वो अभी सोकर उठी हों. उनके बाल बिखरे हुए थे और चेहरे पर दहशत साफ दिख रही थी. भीड़ तक पहुंचते पहुंचते वह रोने लगी थीं. काफी बेचैन लग रही थीं वो.

एयर क्रू की चूक से हुआ था बड़ा हादसा
वर्ष 2000 में 17 जुलाई की सुबह पटना में मौसम साफ था और विजिबिलिटी करीब चार किलोमीटर थी. लैंडिंग के दौरान विमान रनवे से ऊंचाई पर था, ऐसे में क्रू ने कंट्रोल टावर से 360 डिग्री टर्न की अनुमति मांगी और उन्हें यह अनुमति मिल भी गयी. लेकिन टर्न के दौरान विमान की स्पीड कम हो गयी, इंजन आईडल मोड में था और पिच एंगल अधिक हो गया. क्रू ने तय प्रक्रियाओं की अनदेखी की और ‘स्टॉल रिकवरी’की जगह ‘गो अराउंड’प्रक्रिया अपनायी, जिससे विमान ने संतुलन खो दिया और पटना के गर्दनीबाग इलाके में जा गिरा.
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जांच रिपोर्ट में क्या आया था सामने
उसी वर्ष सितंबर में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह हादसा मानव त्रुटि यानी एयर क्रू की गलती की वजह से हुआ. पायलटों ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और लैंडिंग से पहले एयर स्पीड काफी कम कर दी गयी. इससे विमान ने स्टॉल कर दिया और क्रैश हो गया.रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विमान पूरी तरह से एयरवर्दी था और किसी भी तरह की तकनीकी खराबी नहीं थी. हालांकि पटना एयरपोर्ट की भौगोलिक और तकनीकी सीमाएं भी सामने आईं, जिनके कारण बड़े विमानों के संचालन में जोखिम बना रहता है. यह हादसा हिंदुस्तानीय विमानन इतिहास में एक बड़ी चेतावनी के रूप में दर्ज है, जिसने पायलट प्रशिक्षण, हवाई अड्डों की व्यवस्था और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली की गहराई से समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया.
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