BWA Index: हिंदुस्तान के छोटे और मझोले शहरों में स्त्री उद्यमियों को वित्तीय समर्थन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त योजनाओं के बावजूद एक तिहाई स्त्री उद्यमियों को आसानपी से कर्ज नहीं मिल पा रहा रहा है. इसलिए उन्होंने एक अच्छे फाइनेंशियल प्रोडक्ट की जरूरत है. व्यवसाय प्रबंधन मंच ‘टाइड’ की ओर से सोमवार को जारी हिंदुस्तान स्त्री आकांक्षा सूचकांक (BWA Index) 2025 में इस बात का खुलासा किया गया है.
कर्ज हासिल करने में आ रही चुनौतियां
रिपोर्ट में छोटे शहरों की स्त्री उद्यमियों के सामने आने वाली वित्तीय चुनौतियों को मुख्य बिंदुओं में बताया गया है.
- गारंटी की कड़ी आवश्यकताएं: स्त्री उद्यमियों के लिए कर्ज पाने में बड़ी बाधा है.
- कम वित्तीय साक्षरता: उत्पादों की जानकारी की कमी सही निर्णय लेने में रुकावट बनती है.
- विकल्पों की कमी: गारंटी-मुक्त कर्ज और लैंगिक-संवेदनशील कर्ज प्रथाओं की कमी.
- नीतिगत बदलाव की जरूरत: वैकल्पिक ऋण विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए तत्काल प्रशासनी हस्तक्षेप की आवश्यकता.
स्त्री उद्यमियों की डिजिटल जागरूकता और विकास की आवश्यकता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि छोटे और मझोले शहरों की स्त्री उद्यमी अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं.
- 58% स्त्रीओं ने वित्तीय और व्यवसाय प्रबंधन कौशल बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है.
- 12% स्त्रीओं ने डिजिटल दक्षता हासिल करने की तीव्र इच्छा जताई.
- नेटवर्क और मेंटरशिप की कमी भी एक बड़ी रुकावट बनी हुई है.
- औपचारिक नेटवर्क और डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुंच अब भी बाधक हैं.
सामाजिक बाधाओं से संघर्ष कर रही हैं स्त्री उद्यमी
टाइड इंडिया के सीईओ गुरजोधपाल सिंह ने कहा कि अधिकतर स्त्रीएं सूक्ष्म और लघु उद्यमों में काम करती हैं.
- ये स्त्रीएं नारी शक्ति की भावना को सशक्त कर रही हैं.
- सामाजिक और लैंगिक पूर्वाग्रहों को तोड़कर नए हिंदुस्तान के निर्माण में योगदान दे रही हैं.
- वित्तीय और डिजिटल संसाधनों की कमी के बावजूद आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
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वित्तीय निर्भरता और सामाजिक बदलाव की आवश्यकता
रिपोर्ट में एक और चिंताजनक तथ्य सामने आया है. 28% स्त्री उद्यमियों को वित्तपोषण के लिए परिवार के पुरुष सदस्य की मदद लेनी पड़ती है, जो उनकी स्वतंत्रता में बाधा बनता है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि स्त्री उद्यमियों के लिए डिजिटल कौशल में निवेश किया जाए, सहायता कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए और नेटवर्किंग और मेंटरशिप को बेहतर बनाया जाए. इन पहलों से सामाजिक पूर्वाग्रहों को तोड़ने, स्त्री उद्यमियों को सशक्त बनाने और सतत आर्थिक विकास को गति देने में मदद मिलेगी.
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