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पुत्रदा एकादशी कल… सिद्ध योग और कृत्तिका नक्षत्र का बन रहा शुभ संयोग

पापों का होता है नाश • साधु, संत और वैष्णव के साथ गृहस्थजन भी करेंगे व्रत नया विचार समस्तीपुर। पौष मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस एकादशी का व्रत करने से श्रद्धालुओं को तेजस्वी और दीर्घायु संतान की प्राप्ति और वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। साधु, संत, वैष्णवजन और गृहस्थ इस दिन एकादशी का व्रत करेंगे। इस व्रत को करने, इसके महात्म्य को पढ़ने और सुनने से समस्त पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका महिमा का व्याख्यान भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज…

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पापों का होता है नाश • साधु, संत और वैष्णव के साथ गृहस्थजन भी करेंगे व्रत

नया विचार समस्तीपुर

पौष मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस एकादशी का व्रत करने से श्रद्धालुओं को तेजस्वी और दीर्घायु संतान की प्राप्ति और वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। साधु, संत, वैष्णवजन और गृहस्थ इस दिन एकादशी का व्रत करेंगे। इस व्रत को करने, इसके महात्म्य को पढ़ने और सुनने से समस्त पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका महिमा का व्याख्यान भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से किया था। वहीं श्रीकृष्ण के बालस्वरूप में लड्डू गोपाल की पूजा कर उनकी औराधना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

पौष शुक्ल एकादशी पर पुण्यकारी सिद्ध योग, शुभ योग और शुक्ल का संयोग बन रहा है। यह एकादशी नववर्ष की पहली एकादशी होगी। ज्योतिषाचार्य अमित झा ने बताया कि इस योग में व्रत, पूजा-पाठ, हरिस्मरण, वेद पाठ, मंत्र जाप, दान-पुण्य करने से कई गुना ज्यादा पुण्य लाभ मिलता है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा मिलती है। पुत्रदा एकादशी के दिन दोपहर 1:14 बजे तक कृत्तिका नक्षत्र रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही इस दिन दोपहर 2:29 बजे तक शुभ योग रहेगा फिर शुक्ल योग विद्यमान हो जाएगा। वहीं सुबह 9:22 बजे तक सिद्धयोग का भी संयोग बन रहा है।

भगवान नारायण की होगी पूजा

पुत्रदा एकादशी के दिन सनातन धर्मावलंबी भगवान नारायण की विधि-विधान से पूजा करेंगे। इस दिन सत्यनारायण भगवान और लड्डू गोपाल की भी आराधना की जाएगी। श्रीहरि विष्णु को गंगाजल, पंचामृत से स्नान, नूतन वस्त्र, चंदन, फूलमाला, तुलसी, इत्र आदि से श्रृंगार के बाद मिष्ठान और ऋतुफल का भोग अर्पित किया जाएगा। वहीं घी के दीपक और कर्पूर से आरती की जाएगी। श्रद्धालु एकादशी को सत्यनारायण प्रभु की पूजा के बाद स्कंदपुराण के रेवा खंड की पौराणिक कथा का श्रवण करेंगे।

पूजा का शुभ मुहूर्त

चर मुहूर्त: प्रातः 6:39 से 7:58 बजे तक

लाभ मुहूर्त सुबह 7:58 से 9:18 बजे तक

अमृत मुहूर्त सुबह 9:18 से 10:38 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:36 से 12:18 बजे तक

शुभ मुहूर्त दोपहर 11:57 से 1:17 बजे तक

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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