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पैतृक संपत्ति और जमीन विवाद बातचीत से सुलझाएं, प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में बोले राजीव मालवीय

बोकारो-जमीन विवाद, मारपीट, घरेलू हिंसा सहित अन्य छोटे स्तर के मामले को सलटाने के लिए सामजिक व्यवस्था का सहारा निश्चित रूप से लेना चाहिए. इसमें किसी तरह की झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए. इससे समय की बचत के साथ-साथ अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकता है. छोटे मामले में सीधे पुलिस, कोर्ट कचहरी का चक्कर नहीं लगाना चाहिए. आपसी बातचीत से गंभीर से गंभीर मामले तक सुलझाये जा सकते हैं. छोटे-छोटे मामले को लेकर कोर्ट जाने से निपटारा में वर्षों लग जाता है. कोर्ट पर भी अतिरिक्त बोझ बढ़ता है. आमलोग कानूनी रूप से जागरूक हों. अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत राय और आपसी सहमति के साथ कई मामलों को कोर्ट के बाहर सुलझा सकते हैं. यह बातें रविवार को नया विचार ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाईकोर्ट सह बोकारो सिविल कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव मालवीय ने कहीं.

उपभोक्ता फोरम में कर सकते हैं ऑनलाइन शिकायत

गोविंदपुर धनबाद के अजय कुमार का सवाल : किसी भी जगह पर उपभोक्ता फोरम से लाभ लेने के लिए का क्या नियम है?
अधिवक्ता की सलाह : उपभोक्ता फोरम में ऑनलाइन शिकायत की जा सकती है. इसके बाद संपर्क करने पर सही जानकारी मिलेगी.
बोकारो सेक्टर चार डी के विजय रस्तोगी का सवाल : मेरे साथ 50 हजार का साइबर फ्रॉड हुआ है. साइबर थाने में जाने पर बताया जाता है कि दो लाख से अधिक का साइबर फ्राड होने पर मामला दर्ज होगा. कम राशि होने पर नजदीकी थाना में जाये. सही मायने में कहां जाकर कंप्लेन दर्ज कराना होगा?
अधिवक्ता की सलाह : बोकारो के सेक्टर वन में साइबर थाना खुला है. वहां जाकर अपनी समस्या आवेदन के माध्यम से विस्तार से रखें. पुलिस अधिकारी के अनुसंधान के बाद ही न्याय मिलेगा. परेशानी होने पर एसपी कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है. परेशान होने की जरूरत नहीं है.

पैतृक संपत्ति में कोई वसीयत नहीं कर सकता

धनबाद के विवेक कुमार का सवाल : मैंने 10वीं तक की शिक्षा हासिल की है. आगे की पढ़ाई करना चाहता हूं. आर्थिक रूप से सबल नहीं हूं. क्या करना होगा ?
अधिवक्ता की सलाह : जिला कल्याण पदाधिकारी से संपर्क करना होगा. प्रधामंत्री स्कीम मेरिट के तहत छात्रवृति का प्रावधान केंद्र व राज्य स्तर पर है. इसका लाभ लिया जा सकता है.
गिरिडीह के प्रकाश सिंह का सवाल : मेरे पिता जी ने मेरे बड़े भाई के नाम वसीयत कर दी है. इसमें क्या किया जा सकता है. वसीयत को लेकर घर में परेशानी हो रही है ?
अधिवक्ता की सलाह : पैतृक संपत्ति में कोई भी व्यक्ति वसीयत नहीं कर सकता है. यदि दादा जी के पिता ने संपत्ति अर्जित की है, तो कोर्ट में अर्जी लगाने से वसीयत टूट जायेगा.
चीरा चास के संजय मुखर्जी का सवाल : चीरा चास में अपार्टमेंट लिया था. एग्रीमेंट के तहत पार्किंग देना था. परंतु परेशान किया जा रहा है. पार्किंग की व्यवस्था कैसे मिलेगी ?
अधिवक्ता की सलाह : आप रेरा (रियल इस्टेट रेग्युलेशन ऑथारिटीज) में आवेदन देकर समस्या रख सकते हैं. आपके समस्या का समाधान त्वरित गति से होगा.

कोर्ट में टाइटल पार्टिशन शूट फाइल करें

बेरमो के सरयू सिंह का सवाल : मेरे पिता दो भाई हैं. चाचा का कोई वंश नहीं है. गोतिया लोगों ने जमीन पर कब्जा जमा लिया है. ऐसे में क्या करना होगा ?
अधिवक्ता की सलाह : टाइटल पार्टिशन शूट चास कोर्ट में दाखिल करना होगा. इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. जमीन आपके हक में मिल जायेगा.
गिरिडीह के प्रकाश पाठक का सवाल : प्रशासनी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है. ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन सीओ को सौंपा है. अब तक कुछ नहीं हो पा रहा है. न्याय के लिए अब आगे कहां जाना होगा.
अधिवक्ता की सलाह : प्रशासनी जमीन अतिक्रमण करना कानूनन अपराध है. सीओ के दिलचस्पी नहीं लेने पर एलआरडीसी या डीसी को आवेदन सौंप कर पूरी जानकारी उपलब्ध करायें. झारखंड इनक्रोचमेंट अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी. प्रशासनी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जायेगा.
बगोदर के सलमान का सवाल : घर में जमीन का बंटवारा किया गया है. मुझे मनोनुकूल जमीन नहीं मिली. अब परेशानी हो रही है. इसके लिए क्या करना होगा ?
अधिवक्ता की सलाह : पहले आपसी समन्वय बनाकर हल निकालने का प्रयास करें. ऐसा नहीं होने पर न्यायालय की शरण में जायें.

मां के नाम पर है घर तो पिता नहीं बेच सकते

गिरिडीह के बासकीनाथ का सवाल : मेरे ससुर की संपत्ति में मेरी पत्नी को कैसे हिस्सा मिलेगा. इसके लिए क्या करना होगा. कौन सा कानूनी रास्ता है. जिसे आसानी से संपत्ति मिले ?
अधिवक्ता की सलाह : आपके ससुर को वसीयत बनानी होगी. जिसमें आपकी पत्नी का नाम होगा. वसीयत रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्रार के सामने बनाया जा सकता है.
कतरास के विजय यादव का सवाल : मेरे पिता के हम दो संतान है. पिता लगातार संपत्ति मेरे बड़े भाई को देते जा रहे हैं. घर मेरी माता जी के नाम है. क्या पिताजी बड़े भाई के नाम कर सकते हैं ?
अधिवक्ता की सलाह : यदि घर माता जी के नाम है, तो पिता जी किसी भी स्थिति में नहीं बेच सकते हैं. यदि माता जी का देहांत हो जाता है, तो घर दोनों पुत्रों के बीच बंट जायेगा. पिता चाह कर भी बड़े भाई को नहीं दे सकते हैं. सिंदरी के साजन सिंह, आदित्य प्रकाश, धनबाद से नयन कुमार, राजेश दास ने भी सवाल पूछे.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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