पूसा . डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में पोषक खाद्य एवं कटाई उपरांत गुणवत्ता वृद्धि विषय पर तीन दिनी कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए कुलपति डॉ पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि पोषणयुक्त खाद्य आज देश और दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण है. पोषणयुक्त खाद्य से लोगों के शरीर को आवश्यक न्यूट्रीशन, विटामिन, मिनरल्स आदि मिलते हैं. वे कम बीमार पड़ते हैं. बीमारी से लड़ने की क्षमता में भी वृद्धि होती है. उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में पोषक खाद्य पदार्थ के शेल्फ लाइफ और गुणवत्ता में वृद्धि पर भी विस्तार से चर्चा की जायेगी. कुलपति ने कहा कि जामुन देश और बिहार में बहुतायत में उपलब्ध हैं. इसमें ढेर सारे औषधीय तत्व हैं. लेकिन इसका शेल्फ लाइफ काफी कम है. इस पर भी इस कार्यशाला में विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेंसर बेस्ड तकनीक से ऐसे छोटे और सस्ते यंत्र भी विकसित किये जाने चाहिए जिससे कि पोषक खाद्य की गुणवत्ता को मापा जा सके. डॉ पांडेय ने कहा कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला से निश्चित ही ऐसे संकेत उभर कर आयेंगे जिनके पालन से किसानों का फायदा सुनिश्चित हो सकेगा. कालेज आफ बेसिक साइंस के डीन डॉ अमरेश चंद्रा ने कहा कि इस कार्यशाला में देश भर के छह विश्वविद्यालय समेत आइसीएआर के वैज्ञानिक और छात्र शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश को 2047 तक विकसित बनाने में फंक्शनल फुड पर भी ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि फंक्शनल फुड से बीमारी नहीं होती है. बीमारी से लड़ने की क्षमता में भी वृद्धि होती है. उन्होंने कहा कि कटाई के उपरांत कृषि उत्पादन विशेष रूप से फल और सब्जियों का लगभग बीस प्रतिशत तक नष्ट हो जाता है. जो बचता है उसके पोषक तत्व में भी कमी हो जाती है. उन्होंने कहा कि फसलों के शेल्फ लाइफ बढ़ाने और पोषक तत्व को बरकरार रखने के इंटरडिसि्पलीनरी चर्चा को ध्यान में रखकर इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कम्युनिटी साइंस महाविद्यालय की डीन डॉ उषा सिंह ने पोषक खाद्य को लेकर विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न अनुसंधान की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पोषण युक्त खाद्य आने वाले समय की जरूरत है. इस पर अभी से कार्य करने की जरूरत है. कुलसचिव डॉ मृत्युंजय कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में पोषक खाद्य को लेकर अनुसंधान किये जा रहे हैं. इस कार्यशाला में विभिन्न विषयों के और विभिन्न संस्थानों के छात्रों और वैज्ञानिकों के साथ संवाद से उसमें और निखार आयेगा. धन्यवाद ज्ञापन डॉ केएल भूटिया ने किया. निदेशक अनुसंधान डॉ एके सिंह, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ मयंक राय, डॉ महेश कुमार, डॉ अंजनी कुमारी, डॉ कुमार राज्यवर्धन आदि मौजूद थे.
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