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प्रयागराज में वेद मंत्रों के साथ अब AI का ज्ञान भी ले रहे वेदपाठी

Mahakumbh: प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को साकार करते हुए प्रयागराज के श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय में हाईटेक और हुनरमंद वैदिक तैयार हो रहे हैं, जो वेद मंत्रों के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का हुनर भी सीख रहे हैं. डिजिटल इंडिया के ये हाईटेक वैदिक बटुक वेदों के कठिन मंत्र, पुराण, उपनिषद, गीता, अंग्रेजी, गणित की शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं.

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वेदपाठ करते हुए छात्र

वेद और AI का संगम

विद्वानों का मानना है कि वेद केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी प्रासंगिक हैं. वेद के बिना एआई(AI) का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं है. हालांकि, प्रशासनी स्तर पर इन्हें ICT योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है, फिर भी देश भर में करीब 150 वेद पाठशालाएं और 350 गुरु-शिष्य परंपरा इकाइयों का संचालन कर रहे महर्षि सान्दीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान से सम्बद्ध स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय अपने स्तर पर वेद की पढ़ाई करने वाले छात्रों को कंप्यूटर और तकनीक में पारंगत बना रहा है.

तकनीक की मदद से वेदों का संरक्षण

वेदपाठी छात्रों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण देने वाले अध्यापक अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि तकनीक की मदद से वेदपाठी छात्र वेद ग्रंथों, मंत्रों को संरक्षित करना और उन्हें वैश्विक स्तर पर साझा करना सीख रहे हैं. संस्था द्वारा 2004 से ही वेद छात्रों के लिए कंप्यूटर शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

हाईटेक वैदिक, महाकुंभ में भी आकर्षण

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जहां हाईटेक साधु-सन्यासी आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं, वहीं हाईटेक वैदिक भी लोगों के कौतुहल का विषय हैं. झूसी के परमानंद आश्रम में स्थित इस विद्यालय में छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), हिन्दी व अंग्रेजी टायपिंग, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पावर पॉइंट, एक्सेल, फोटोशॉप जैसे विषयों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यह ज्ञान उन्हें पांडुलिपियों के संरक्षण में मदद करेगा.

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मंत्रों का उच्चारण करते हुए छात्र

कंप्यूटर से वेदों के अध्ययन में क्रांति

विद्यालय के पूर्व छात्र अजय मिश्र, जो अथर्ववेद और कंप्यूटर संचालन में पारंगत हैं, बताते हैं कि वेदों के संरक्षण में कंप्यूटर की उपयोगिता अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से:

  • हस्तलिखित और मुद्रित वेद ग्रंथों को डिजिटल रूप में संग्रहीत किया जा सकता है.
  • टेक्स्ट एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और NLP तकनीकों का उपयोग वेदों की गहन व्याख्या और तुलना के लिए किया जा सकता है.
  • ऑडियो रिकॉर्डिंग और साउंड एनालिसिस से वेद मंत्रों का उच्चारण संरक्षित किया जा सकता है.
  • अनुवाद सॉफ्टवेयर की मदद से वेदों का ज्ञान अन्य भाषाओं में प्रसारित किया जा सकता है.
  • डिजिटल लाइब्रेरी और ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स के जरिए वेदों को पूरी दुनिया में सुलभ बनाया जा सकता है.

नई शिक्षा नीति और वेद विद्यालयों का आधुनिकीकरण

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत संस्कृत और वेद विद्यालयों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है. शिक्षा मंत्रालय ने इस कार्य की जिम्मेदारी महर्षि सान्दीपनी राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा बोर्ड को दी है. हाल ही में मंत्रालय ने वेद विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने और उन्हें दूसरे स्कूलों के समकक्ष बनाने को लेकर उच्चस्तरीय बैठक भी की है.

प्रधानाचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने कहा “हमारे छात्र वेदों और आधुनिक तकनीक दोनों में पारंगत हो रहे हैं. हमारा उद्देश्य वैदिक परंपरा को तकनीकी दक्षता के साथ आगे बढ़ाना है.”

आने वाले समय में इन वेद विद्यालयों से पूजा-पाठ कराने वाले वेदपाठी ही नहीं, बल्कि हाईटेक और हुनरमंद वैदिक भी निकलेंगे, जो संस्कृत, वेद और कंप्यूटर तकनीक में दक्ष होंगे.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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