सीबीआइ ने हाइकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर किया दावा
संवाददाता, कोलकाताराज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले पर सीबीआइ ने मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में सनसनीखेज दावे किये गये हैं. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्राथमिक शिक्षक पद पर नौकरी देने के नाम पर कई फर्जी वेबसाइटें बनायी गयी थीं और उन वेबसाइटों के माध्यम से करोड़ों रुपये जुटाये गये.
सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फर्जी वेबसाइट के माध्यम से अयोग्य व असफल अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेकर नियुक्ति दी गयी. सीबीआइ की रिपोर्ट में एक ऐसे अभ्यर्थी का भी उल्लेख है, जो 2014 की टीइटी परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया था और परीक्षा में खाली उत्तर पुस्तिका जमा करने के बाद भी अवैध रूप से नौकरी कर रहा है. सीबीआइ रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने एक अतिरिक्त पैनल बनाया और अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्तियां कर दीं.
कलकत्ता हाइकोर्ट में सोमवार को पेश की गयी सीबीआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसे के बदले अयोग्य अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी. कुंतल घोष और तापस मंडल ने तृणमूल नेताओं की सांठगांठ से भारी धन एकत्र किया. बताया गया है कि छह वर्षों (2016-2022) में 141 अभ्यर्थियों से लगभग चार करोड़ 13 लाख रुपये एकत्र किये गये. यह धन एजेंटों के माध्यम से एकत्र किये गये थे. कुंतल घोष ने नौकरी दिलाने के नाम पर तीन करोड़ 13 लाख रुपये उगाहे थे.
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने पिछले सप्ताह 2014 की नियुक्ति पर सवाल उठाये थे. उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ, तो 42,000 अभ्यर्थियों की नियुक्तियां रद्द भी की जा सकती हैं. उन्होंने सीबीआइ से पूछा था कि उन्होंने अब तक क्या जांच की है. सीबीआइ ने मंगलवार को मामले पर जांच प्रगति की रिपोर्ट पेश की.
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