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‘फोन कर बचायी चाचा-चाची की जान’

कोलकाता. होटल की चौथी मंजिल पर दो कमरों में ठहरे मयंक अग्रवाल के परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित बाहर निकल आये. किसी को एक खरोंच तक नहीं आयी. ओडिसा के रहने वाले मयंक अपने परिवार के साथ कोलकाता घूमने और इडेन गार्डेन में आइपीएल मैच देखने के लिए आये थे. मयंक अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ रितुराज होटल में ठहरे हुए थे.मयंक बताते हैं कि मंगलवार शाम सात बजे उन्हें चेक आउट करना था. मयंक अपने छोटे भाई के साथ होटल के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित रिसेप्शन पर थे. लेकिन उनके चाचा-चाची और उनका बेटा अभी-भी होटल के…

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कोलकाता. होटल की चौथी मंजिल पर दो कमरों में ठहरे मयंक अग्रवाल के परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित बाहर निकल आये. किसी को एक खरोंच तक नहीं आयी. ओडिसा के रहने वाले मयंक अपने परिवार के साथ कोलकाता घूमने और इडेन गार्डेन में आइपीएल मैच देखने के लिए आये थे. मयंक अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ रितुराज होटल में ठहरे हुए थे.मयंक बताते हैं कि मंगलवार शाम सात बजे उन्हें चेक आउट करना था. मयंक अपने छोटे भाई के साथ होटल के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित रिसेप्शन पर थे. लेकिन उनके चाचा-चाची और उनका बेटा अभी-भी होटल के चौथी मंजिल पर स्थित अपने कमरे में ही थे. होटल की चौथी मंजिल पर 402 और 405 नंबर कमरा उन्होंने बुक कराया था. मयंक बताते हैं कि चेक आउट की प्रक्रिया चल ही रही थी, तभी किसी ने बताया कि होटल के प्रथम तल पर स्थित किचन में आग लग गयी है.सभी लोग बाहर भागने लगे. मैं भी अपने भाई के साथ होटल के गेट पर चला गया. नीचे से देखा, तो प्रथम मंजिल की खिड़कियों से भयंकर आग और काला धुंआ निकल रहा था. मैं तुरंत अपने चाचा को फोन लगाया. चाचा-चाची को फोन कर होटल में आग लगने की जानकारी दी. आग लगने की जानकारी मिलते चाचा, चाची और अपने बेटे को लेकर फौरन नीचे की तरफ भागे, लेकिन होटल के प्रथम तले पर आग की लपटें थीं. पूरे होटल को काले धुएं ने अपनी आगोश में ले लिया था. ऐसे में वह नीचे नहीं उतर सके. उन्होंने तुरंत चौथी मंजिल पर स्थित अपने कमरे की खिड़कियों को तोड़कर कार्निस पर आ गये. उनके साथ उनकी पत्नी और उनका बेटा भी. मयंक बताते हैं कि वे और उनता छोटा भाई होटल के बाहर नीचे खड़े होकर आवाज देकर चाचा-चाची का हौसला बढ़ाते रहे. लगभग एक घंटे यह स्थिति बनी रही. होटल से लपटें निकल रही थीं लेकिन चाचा परिवार के दो सदस्यों को लेकर होटल की कार्निस पर किसी तरह से बचे रहे. तब तक होटल के सामने लोगों की भारी भीड़ एकत्रित हो गयी. लगभग डेढ़ घंटे में दमकल और पुलिस की गाड़ियां भी मौके पर पहुंचीं. दमकल कर्मियों ने मेरे चाचा को किसी तरह से आग की लपटों के बीच चौथी मंजिल से रेस्क्यू किया. चाचा-चाची और उनका बेटा नीचे आये. मयंक ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि मंगलवार की रात हमारे जीवन की आखिरी रात भी हो सकती थी लेकिन ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद की हम जीवित खड़े हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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