प्रतिनिधि, दलाही मासलिया प्रखंड के झिलवा गांव में ग्रामीणों ने संताली भाषा के ओलचिकी लिपि के जनक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की जयंती धूमधाम से मनायी. इस अवसर पर आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार पूजा अर्चना कर उपस्थित ग्रामीणों ने गुरु गोमके को श्रद्धांजलि अर्पित की. पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म पांच मई 1905 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिला के दंडबोश गांव में बुद्ध पूर्णिमा हुआ था. पंडित रघुनाथ मुर्मू मात्र 20 वर्ष के अल्प आयु में संताली भाषा के लिए ओलचिकी लिपि का अविष्कार किया. उन्होंने सन 1925 में संताली भाषा की ओलचिकी लिपि को संताल समाज के सामने प्रदर्शित किया. ओलचिकी लिपि का 100 वर्ष भी अभी पूरा हुआ है. संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में 2003 में शामिल किया गया है. इस अवसर पर ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की कि झारखंड में भी बंगाल राज्य के तर्ज में केजी से पीजी की पढ़ाई संताली के ओलचिकी लिपि से करायी जाए. मौके में जीव मुर्मू, धुनिराम मुर्मू, ठाकुर मुर्मू, शुरू मुर्मू, चिंतामुनि मरांडी आदि उपस्थित थे.
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