– बरुराज नगर पंचायत में बढ़ी हलचल, 15वें वित्त आयोग की ग्रांट पर तलवार
– 07 नगर पंचायत एवं 03 नगर परिषद है मुजफ्फरपुर में
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
जिले के कई नगर निकायों पर प्रशासनी अनुदान रुकने का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. यह स्थिति प्रॉपर्टी टैक्स (होल्डिंग टैक्स) वसूली में बरती जा रही ढिलाई के कारण उत्पन्न हुई है. न सिर्फ अनुदान रुकने की आशंका है, बल्कि वसूली में शिथिलता बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ वित्तीय नुकसान पहुंचाने के आरोप में कार्रवाई भी संभव है. यह समाचार खासकर बरुराज नगर पंचायत सहित जिले के उन सभी नगर निकायों में हड़कंप मचा चुकी है, जहां अब तक सड़कों का वर्गीकरण कर प्रॉपर्टी टैक्स का निर्धारण और वसूली शुरू नहीं हो पायी है. प्रशासन की ओर से इन निकायों पर जल्द से जल्द प्रॉपर्टी टैक्स निर्धारित कर मंजूरी के लिए भेजने का भारी दबाव है. इसके लिए एक निर्धारित फॉर्मेट भी उपलब्ध कराया गया है. इसमें 24 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गयी है. एक तरह से देखा जाये तो कार्यपालक पदाधिकारी ने सभापति को पत्र लिखकर अपनी गर्दन बचा ली है. अब गेंद पूरी तरह से सभापति के पाले में है कि वे कब मीटिंग बुलाते हैं और प्रॉपर्टी टैक्स वसूली की प्रक्रिया को कब गति देते हैं. यदि उनकी तरफ से जल्द से जल्द मीटिंग बुलाकर प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली नहीं की जाती है, तो वित्तीय नुकसान पहुंचाने के मामले में उनके खिलाफ भी कार्रवाई संभव है. गौरतलब है कि इससे पहले दरभंगा नगर निगम में भी इसी तरह के मामले में महापौर, उप महापौर सहित सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों पर कार्रवाई हो चुकी है. मुजफ्फरपुर जिले में नगर निगम को मिलाकर कुल 11 नगर निकाय हैं, जिनमें तीन नगर परिषद और सात नगर पंचायत शामिल हैं. इन सातों नगर पंचायतों का गठन पिछले चुनाव से ठीक पहले हुआ है, जिसके बाद से टैक्स निर्धारण और वसूली की प्रक्रिया में देरी हो रही है.
15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर पड़ेगा असर, खलबली
यदि इन नगर निकायों द्वारा निर्धारित समय पर प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली शुरू नहीं की जाती है, तो उन्हें 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर विकास कार्यों के लिए मिलने वाला महत्वपूर्ण प्रशासनी अनुदान रोक दिया जायेगा. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, बरुराज नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने सभापति को तत्काल मीटिंग बुलाकर प्रॉपर्टी टैक्स तय करने का आग्रह किया है. हालांकि, पत्र लिखे लगभग 15 दिनों का समय बीत चुका है. अब तक मीटिंग नहीं बुलायी गयी है. जबकि, प्रशासन की तरफ से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी गयी थी.
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