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बरैय में करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित पंचायत सरकार भवन बना खंडहर

विकास की आस में डूबे ग्रामीण, प्रशासनी उदासीनता से टूटी उम्मीदें

खगड़िया. बिहार प्रशासन के ग्रामीण विकास द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से बरैय पंचायत में प्रशासन भवन का निर्माण किया गया था. सदर प्रखंड के बरैय पंचायत में निर्मित पंचायत प्रशासन भवन स्थानीय प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बनने वाला था. अब झाड़-झंखाड़ में ढ़का हुआ खंडहर बनकर रह गया है. भवन के चारों ओर झाड़ियां, टूटी खिड़कियां और उखड़ी दीवारें प्रशासनी व्यवस्था की पोल खोल रही हैं. बरसात में दीवारों से पानी टपकता है. बरामदे में जंगली घास फैल चुका है. कभी पंचायत बैठकें, प्रशासनी योजनाओं की समीक्षा और ग्राम विकास के प्रस्ताव इसी भवन में तय करने के लिए निर्माण किया गया था. लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा है. बताया जाता है कि यह पंचायत प्रशासन भवन मिनी ब्लॉक के रूप में तीन पंचायत-बेला,रानीसकरपुरा व बरैय के लिए बनाया गया था. जिसका उद्घाटन तो हुआ लेकिन आज तक कोई भी कर्मचारी व पदाधिकारी इस भवन शोभा भी बढ़ाने नहीं आये.

न अधिकारी आते, न जनप्रतिनिधि झांकते-ग्रामीणों को हो रही परेशानी

स्थानीय समाजसेवी राजकिशोर चौधरी ने कहा कि पंचायत प्रशासन भवन में न तो मुखिया की बैठक होती है और न ही सचिव या रोजगार सेवक कभी पहुंचते हैं. प्रशासनी कार्यों के लिए ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय ही जाना पड़ता है. जिससे गरीब तबके को भारी दिक्कत उठानी पड़ती है. जब प्रशासन ने इतना बड़ा भवन बनाया था. तो इसका लाभ लोगों मिलना चाहिए था. लेकिन अब यह सिर्फ फोटो खिंचवाने और रिपोर्ट दिखाने का साधन बन गया है.

करोड़ों रुपये की योजना बनी शोपीस

प्रशासन ने जिस उद्देश्य से पंचायत प्रशासन भवन योजना की शुरुआत की थी. वह अब सवालों के घेरे में है. ग्रामीणों गणेश प्रसाद ने कहा कि यदि इस भवन में नियमित पंचायत बैठकें, प्रशासनी योजनाओं का संचालन और जनसुनवाई शुरू कर दी जाय. तो सैकड़ों ग्रामीणों को राहत मिलेगी. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण भवन की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. लोगों ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से करोड़ों की लागत का यह भवन कागजी विकास का प्रतीक बन गया है.

पंचायत प्रशासन भवन में मिनी प्रशासन का हो संचालन

गांव के लोगों ने कहा कि बरैय पंचायत प्रशासन भवन में मिनी प्रशासन भवन का संचालन होना चाहिए. पंचायत स्तरीय गतिविधियां शुरू हो. भवन की देखरेख के लिए स्थायी व्यवस्था की जाय. यह कहानी सिर्फ बरैय पंचायत की नहीं है, बल्कि जिले के कई पंचायत प्रशासन भवनों की यही कहानी है. जहां करोड़ों रुपये खर्च कर भवन तो बना दिए गये. लेकिन उसमें न कर्मचारी बैठते हैं न जनप्रतिनिध.

कहते हैं अधिकारी

जिला पंचायती राज पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि शिकायत मिलेगी तो मामले की जांच कराया जाएगा. फिलहाल उनके जानकारी में नहीं है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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