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बारिश से दिनारा पीएचसी में जलजमाव, मरीजों व परिजनों को भारी दिक्कत

कुव्यवस्था. एक दिन की बारिश ने बतायी साफ-सफाई की हकीकत

पानी जमा होने से गर्भवती स्त्रीएं और बुजुर्ग हुए खासे परेशान30 बेड वाले इस अस्पताल में रोजाना आते हैं 100 से 150 मरीज

फोटो -6-पीएचसी में जमा बारिश का पानी. प्रतिनिधि, दिनाराबेमौसम हुई भारी बारिश ने दिनारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की व्यवस्था की हकीकत दिखा दी. शुक्रवार को हुई बारिश के बाद अस्पताल परिसर और आसपास के हिस्सों में जलजमाव की स्थिति बन गयी. इससे मरीजों और तीमारदारों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा. अस्पताल के मुख्य द्वार से लेकर वार्ड तक पानी भर जाने से आवागमन ठप हो गया. इससे खासतौर पर गर्भवती स्त्रीओं, बुजुर्गों और बच्चों को आने-जाने में भारी परेशानी हुई. करीब एक घंटे तक अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा. बाद में पानी का स्तर धीरे-धीरे घटने के बाद मरीजों की आवाजाही दोबारा शुरू हो सकी. 30 बेड वाले इस स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना 100 से 150 मरीज इलाज के लिए आते हैं. जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश के मौसम में हर बार ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है. स्थानीय नागरिकों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग से स्थायी समाधान की मांग की, लेकिन अब तक कोई सार्थक पहल नहीं हो पायी है.

इस संबंध में नगर पंचायत की मुख्य पार्षद किरन देवी ने बताया कि दिनारा के विकास के लिए 30 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं. इनमें वार्ड संख्या नौ में नाली-गली निर्माण कार्य जल्द शुरू होने वाला है. इस योजना में पीएचसी परिसर की जल निकासी की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी. लेकिन, पीएचसी में तैनात सफाई कर्मियों को छोटी छोटी परेशानियों का हल कर लेना चाहिए, यह कोई बरसात का दिन नहीं था.

मजदूरों से तीन शिफ्टों में कराया जाता है काम

दिनारा पीएचसी में सफाई की पूरी जिम्मेदारी 15 सफाईकर्मियों पर है. इनमें 13 स्त्रीएं, 2 पुरुष और 1 धोबी शामिल हैं. सुपरवाइजर संतोष कुमार के अनुसार, तीन शिफ्टों में सफाई व्यवस्था चलायी जाती है. सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक, दोपहर दो से रात आठ बजे तक और फिर रात आइ से सुबह 8 बजे तक. बदले में सफाईकर्मियों का मजदूरी के नाम पर शोषण किया जाता है. अस्पतालकर्मियों ने बताया कि पुरुष सफाईकर्मी को 4000, स्त्री को 5000, सुपरवाइजर को 6500 और धोबी को 6000 रुपये मासिक मजदूरी मिलती है. यह कि बिहार प्रशासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी कानून 2024 का खुला उल्लंघन है. नियमों के अनुसार बिहार में अप्रशिक्षित मजदूर को 410, अर्धप्रशिक्षित को 426 और सुपरवाइजर को 452 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलना चाहिए.

सफाई कर्मियों को नहीं मिलेगी उचित मजदूरी तो कैसे दुरुस्त होगी सफाई व्यवस्थाअस्पताल प्रबंधक राजीव रंजन ने बताया कि चिकित्सा प्रभारी डॉ राघवेंद्र कुमार जिला में मीटिंग शामिल होने गए है.आते ही इस पर कुछ गंभीर बातें होंगी. अस्पताल के कई कर्मियों ने बताया कि सफाईकर्मियों को उनके काम का वाजिब मूल्य नहीं मिलता है.ऐसे में अस्पताल में सफाई व्यवस्था कैसे दुरुस्त रह पाएगी? जलजमाव जैसी समस्याएं तभी गंभीर रूप लेती हैं जब भीतर की व्यवस्थाएं पहले से कमजोर होती हैं.इतनी कम मजदूरी में पूरे महीने तीन-तीन शिफ्टों में काम करना न केवल मानसिक और शारीरिक शोषण है, बल्कि यह श्रम कानून का भी सीधा उल्लंघन है. स्थिति यह है कि अगर कोई सफाईकर्मी अपने अधिकार की बात करता है, तो उसे काम से निकाल देने की धमकी मिलती है, जिससे वे चुप रहने को मजबूर हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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