अनुज शर्मा/ Bihar News: बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने आंकड़े और आबादी के आधार पर दावा किया है कि 2004 के मुकाबले 2025 में अपराध में भारी गिरावट आयी है. डीजीपी ने कहा कि पुलिस का लक्ष्य अब ‘जीरो क्राइम स्टेट’ बनाना है और इसी दिशा में संगठित रणनीति के साथ प्रयास जारी हैं. 2004 के आसपास के वर्षों में हत्या की घटनाएं व्यापक स्तर पर होती थीं, लेकिन अब इनमें सालाना औसतन 1200 की कमी आई है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि “साल में एक भी हत्या समाज के लिए असहनीय है. हमारा लक्ष्य है कि एक भी हत्या न हो.”बिहार में भूमि विवाद, आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक तनावों के बीच यह गिरावट पुलिस की सक्रियता का प्रमाण है. लालू प्रशासन के काल खंड से तुलना करते हुए डीजीपी ने कहा कि 20-21 साल पहले सालाना 500 – 1000 फिरौती के लिए अपहरण के मामले दर्ज होते थे. अब यह आंकड़ा 50 के आसपास है. डकैती के मामलों में भी पहले 1200 से अधिक वार्षिक घटनाएं होती थीं, जो अब घटकर 150 के करीब पहुंच चुकी हैं.
बस और ट्रेन यात्रा में पहले थी असुरक्षा
डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि 2004 से पहले बिहार में रात में बस या ट्रेन यात्रा करना बेहद जोखिम भरा होता था. उन्होंने अपने कार्यकाल में हुए अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक समय पलामू एक्सप्रेस को लोग ‘डकैती एक्सप्रेस’ के नाम से जानते थे. जहानाबाद के पास अक्सर ट्रेन लूट ली जाती थी और गया – औरंगाबाद के बीच स्थिति इतनी गंभीर थी कि यात्रियों को डकैतों से हाथ जोड़कर विनती करनी पड़ती थी कि वे अगली बार आएं, क्योंकि वे पहले ही लुट चुके हैं. बसें डकैतों का आसान निशाना बनती थीं. डीजीपी ने बताया कि जब उन्होंने पुलिस महानिदेशक का पदभार संभाला, तब राज्य में लगभग 60 हजार अजमानतीय वारंट लंबित थे. अब तक एक लाख से अधिक वारंट निष्पादित किए जा चुके हैं और लंबित वारंट की संख्या घटकर 39 हजार रह गई है. उन्होंने बताया कि लंबित वारंटों को निपटाने के लिए तीन दिवसीय विशेष अभियान चलाया जा रहा है.
पुलिस की सक्रियता और जनता की भागीदारी
डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि बिहार पुलिस द्वारा वर्ष 2025 के जनवरी से मई तक हत्या, डकैती, लूट और पुलिस पर हमले जैसे मामलों में तेज कार्रवाई की गई है. हत्या में 2820, डकैती में 537, लूट में 1047 और पुलिस पर हमले में 1421 अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं. अन्य गंभीर मामलों में 31,484 की गिरफ्तारी हुई. कुल 1.26 लाख से अधिक गिरफ्तारी की गई, जिसमें 4628 हार्डकोर अपराधी और 66 नक्सली भी शामिल हैं. संज्ञेय अपराधों के कुल 1.55 लाख मामले दर्ज हुए, जो यह दर्शाता है कि पुलिस अब पीड़ितों की शिकायतों को तत्परता से दर्ज कर रही है. निरोधात्मक कार्रवाई में 4.83 लाख लोगों पर 126 बीएनएसएस और 1.02 लाख पर 135 बीएनएसएस के तहत कार्रवाई की गई. साथ ही 38,071 मामलों में 52,314 अभियुक्तों को सजा दिलाई गई.
न्यायिक प्रक्रिया में भी सुधार
डीजीपी ने बताया कि साक्षियों की गवाही सुनिश्चित कराने के लिए तकनीक और दंडात्मक उपायों का इस्तेमाल किया गया. अब तक 17,207 पुलिसकर्मी, 3318 डॉक्टर और 49,515 अन्य साक्षियों को न्यायालय में पेश किया गया है. 87,104 वारंट निष्पादित किए गए और 4082 कुर्की भी की गई. सीसीए के तहत 1271 प्रस्ताव जिलाधिकारियों को भेजे गए हैं.
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