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बिहार के लाल ने स्कॉटलैंड में रचा इतिहास, हिंदुफोबिया के खिलाफ संसद से मिली बड़ी जीत 

बिहार के चंपारण में जन्मे ध्रुव कुमार पूरे स्कॉटलैंड में देश का नाम रौशन कर रहे. बिहार से निकलकर स्कॉटलैंड की संसद तक का सफर तय करने वाले प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने एक ऐसा काम कर दिखाया है, जो पहले कभी नहीं हुआ था. उन्होंने वहां हिंदू विरोधी सोच यानी हिंदूफोबिया के खिलाफ एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पास करवाकर नया इतिहास रचा है.

चंपारण से स्कॉटलैंड तक का सफर

प्रो. ध्रुव कुमार एक टीचर, ट्रेड यूनियन लीडर और स्कॉटलैंड में एल्बा पार्टी के नेता हैं. स्कॉटलैंड में वह सामाजिक न्याय, मजदूरों के अधिकार, धार्मिक समानता और खासकर हिंदूफोबिया के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने वहां के संसद में ऐसा प्रस्ताव पास करवाया है, जिसमें हिंदूफोबिया की ऑफिसियल तरीके से निंदा की गई है. 

संसद में पेश हुआ ऐतिहासिक प्रस्ताव

8 अप्रैल 2025 को स्कॉटिश सांसद आश रेगन ने स्कॉटिश संसद में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमे हिन्दुफोबिया को खत्म करने का जिक्र था. इस प्रस्ताव को स्कॉटलैंड की संसद के द्वारा 21 अप्रैल को पास किया गया. यह प्रस्ताव कुमार के देख-रेख में ही तैयार हुआ था. इस प्रस्ताव को पारित कर स्कॉटलैंड ने साबित कर दिया कि अब यहां माइनॉरिटीज की आवाज भी सुनी जाएगी. ऐसा करने वाला स्कॉटलैंड यूके का पहला देश बन गया है.

रिपोर्ट ने खोली सच्चाई

ध्रुव कुमार ने ‘हिंदूफोबिया इन स्कॉटलैंड’ नाम से एक 19 पेज की रिपोर्ट तैयार की जिसमें उन्होंने मंदिरों पर हमले, स्कूलों में भेदभाव और हिंदू समाज के योगदान को नजरअंदाज करने जैसे मामलों को हाईलाइट किया. यह रिपोर्ट उन्होंने अनुरंजन झा, सुखी बैंस और नील लाल के साथ मिलकर लिखी थी.

गांधीवादी सोच को करते हैं फॉलो

ध्रुव कुमार ने मीडिया को बताया कि गांधी जी की आइडियोलॉजी को फॉलो करते हुए उन्होंने स्कॉटलैंड के कानूनों में बदलाव, स्कूलों के सिलेबस में धार्मिक भेदभाव की जानकारी और समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया. 

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कुमार का फोकस अब अपराधों में हिन्दुफोबिया को जोड़ना है

अब जब प्रस्ताव पास हो गया है, तो कुमार चाहते हैं कि इस पर काम भी जल्दी ही शुरू हो. उनका फोकस अब नफरत के अपराधों में हिंदूफोबिया को भी जोड़ना है, धर्मों के बीच भेदभाव को खत्म किया जाए और प्रशासनी अधिकारियों के लिए डाइवर्सिटी पर ट्रेनिंग अनिवार्य होना चाहिए. ध्रुव कुमार का यह काम न सिर्फ स्कॉटलैंड के हिंदू समाज के लिए, बल्कि दुनियाभर में माइनॉरिटीज के लिए एक बड़ी प्रेरणा है. उन्होंने साबित किया कि बदलाव सिर्फ विरोध से नहीं, सही सोच से आता है. (यह समाचार इंटर्न श्रीति सागर ने लिखी है)

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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