Hot News

बिहार: डिजिटल हो रही पुलिस, बदमाशों से लड़ने में ई-साक्ष्य ऐप बना नया हथियार

बिहार, वीरेंद्र कुमार: अपराध और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग शुरू हो गया है. एक ओर जहां अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी लैपटॉप व एंड्रॉयड मोबाइल की खरीद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ई-साक्ष्य ऐप के उचित इस्तेमाल के लिए लगातार उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि विवेचना और न्यायालय में सुनवाई के समय इसका लाभ मिल सके और अपराधियों को समय पर सजा मिल सके.

मुंगेर रेंज के 573 आइओ ने अब तक ई-साक्ष्य का किया प्रयोग

घटनास्थल पर मिले साक्ष्य अहम होते हैं. क्राइम सीन सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण होता है. साक्ष्यों को पेन ड्राइव, सीडी, डीवीडी के माध्यम से पुलिस को कोर्ट में पेश करना होता था. पर, अब हिंदुस्तानीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तारी, तलाशी और सीज की कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य है. इन साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए ई-साक्ष्य ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है. क्राइम सीन पर से ही पुलिस फोटोग्राफ व वीडियोग्राफ के साथ लोगों का बयान लेकर ई-साक्ष्य पर अपलोड कर रही है. जानकारी के अनुसार, मुंगेर रेंज में 775 अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों की संख्या है. इनमें से 573 अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी अब तक ई-साक्ष्य ऐप का प्रयोग किये हैं व इनके द्वारा 302 वीडियो व फोटो क्राइम सीन से लेकर ई- साक्ष्य ऐप पर अपलोड किया जा चुका है.

लैपटॉप व एंड्रॉयड मोबाइल नहीं खरीदने वालों का रुकेगा वेतन

मुंगेर रेंज में 775 अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी हैं. इनमें से 523 अनुसंधानकर्ता ने लैपटॉप की खरीद की है, जबकि दूसरी ओर 533 अनुसंधानकर्ताओं द्वारा मोबाइल की खरीद की गयी है. पर, जिन अनुसंधानकर्ताओं ने लैपटॉप व मोबाइल की खरीद अब तक नहीं की है, उनके वेतन पर कभी भी रोक लगायी जा सकती है. कारण, थाने में तैनात 55 वर्ष से कम आयु वाले अनुसंधान विंग के पुलिस पदाधिकारियों को 20 हजार तक का मोबाइल व 60 हजार तक लैपटॉप खरीदने की स्वीकृति पूर्व में ही दी जा चुकी है. पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जांच के लिए लैपटॉप और स्मार्टफोन खरीदना आवश्यक है. जिन पदाधिकारियों ने ऐसा नहीं किया है, उनके वेतन पर रोक लगायी जा सकती है.

डिजिटल हो रही मुंगेर पुलिस

इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य या ई-साक्ष्य डिजिटल डेटा को संदर्भित करता है. इसका उपयोग अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए किया जाता है. इस तरह के डेटा का उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान करने या उसकी गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है. बिहार पुलिस अब पूरी तरह से डिजिटल हो रही है और कांड दैनिकी भी डिजिटल होने जा रही है. इसका मतलब है कि पुलिस के कामकाज में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है. इसका प्रचलन बढ़ने से सभी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी और इससे पारदर्शिता बढ़ेगी.

बिहार की ताजा समाचारों के लिए यहां क्लिक करें

सभी जिलों के एसपी को दिशा-निर्देश दिया गया है : डीआइजी

मुंगेर रेंज के डीआइजी राकेश कुमार ने बताया कि ई-साक्ष्य ऐप हिंदुस्तान की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक डिजिटल परिवर्तन का हिस्सा है, जो नये आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के साथ है. पुलिस मुख्यालय ने सभी अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप व मोबाइल खरीदने की स्वीकृति प्रदान कर दी है. बहुतों ने इसकी खरीद कर इस ऐप पर काम करना भी शुरू कर दिया है, लेकिन जिन्होंने अब तक मोबाइल व लैपटॉप की खरीद नहीं की है, उनकी पहचान कर उनका वेतन रोका जायेगा. इसे लेकर सभी जिलों के एसपी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है. सात वर्ष से अधिक सजा वाले मुकदमों के साक्ष्य ई-साक्ष्य ऐप पर अनिवार्य रूप से सुरक्षित रखना है, ताकि विवेचना और न्यायालय में सुनवाई के समय इसका लाभ मिल सके.

इसे भी पढ़ें: 3700 करोड़ की लागत से बन रहा पटना-सासाराम 4 लेन एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे, डेढ़ घंटे में होगा पूरा सफर 

The post बिहार: डिजिटल हो रही पुलिस, बदमाशों से लड़ने में ई-साक्ष्य ऐप बना नया हथियार appeared first on Naya Vichar.

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top