कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस ने उसकी त्रिपुरा इकाई के कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसके शासन में पूर्वोत्तर राज्य में प्रशासन प्रायोजित नेतृत्वक आतंकवाद फैलाया गया है. पश्चिम बंगाल की मंत्री डॉ शशि पांजा ने यहां तृणमूल भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तृणमूल का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अगरतला के बनमालीपुर में सोमवार को हुए हमले के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने और जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए त्रिपुरा पहुंचा. पांजा ने आरोप लगाया : त्रिपुरा में भाजपा की असहिष्णु और हिंसक प्रशासन है.
सोमवार को हुई घटना दर्शाती है कि लोकतंत्र की रक्षा का दावा करने वाले लोग कैसे विपरीत व्यवहार कर रहे हैं. वीडियो साक्ष्य स्पष्ट हैं. तोड़फोड़ पुलिस की मौजूदगी में हुई, जो मूकदर्शक बनी रही. श्रीमती पांजा ने तोड़फोड़ के बाद कार्यालय की तस्वीरें पत्रकारों को दिखाते हुए कहा : यह प्रशासन प्रायोजित नेतृत्वक आतंकवाद है. त्रिपुरा में अब कोई लोकतंत्र नहीं बचा. जब हमारे पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की जा रही थी, तो पुलिस वहां खड़ी होकर देख रही थी. वही बनमालीपुर जहां से (त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री) बिप्लब देब कभी चुनाव लड़ते थे, अब प्रशासनी आतंक का प्रतीक बन गया है. उन्होंने कहा कि तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और जिक्र किया कि कैसे उनके काफिले पर भी पहले त्रिपुरा में हमला हुआ था.
पीएम पर भी बोला हमला
पांजा ने कहा : दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने बंगाल में लोकतंत्र नहीं होने का आरोप लगाया और भाजपा नेताओं पर हमलों के लिए तृणमूल कांग्रेस को बिना किसी सबूत के जिम्मेदार ठहराया, लेकिन त्रिपुरा में जो हुआ, वह भाजपा के पाखंड को साबित करता है. जो लोग दूसरों को लोकतंत्र पर उपदेश देते हैं, वे विपक्ष के खिलाफ गुंडे छोड़ रहे हैं. बांग्ला भाषा का अपमान करके पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के बंगालियों को जान-बूझकर बांटने की कोशिश करने कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसी विभाजनकारी नेतृत्व को हमेशा भांप लेती हैं. हाल में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू घायल हुए थे, तो मुख्यमंत्री बनर्जी उन्हें देखने खुद अस्पताल गयी थीं. लेकिन वह 2021 में जब घायल हुईं, तो भाजपा ने उनका मजाक उड़ाया. उस समय प्रधानमंत्री ने भी उन पर कटाक्ष किया था. क्या यही नेतृत्वक शालीनता है?
पांजा ने देब पर निशाना साधते हुए कहा : उन्हें 2023 के त्रिपुरा विधानसभा चुनावों से पहले हटा दिया गया, क्योंकि भाजपा भी उनके कारण बदनामी को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी. फिर भी अब उन्हें बंगाल लाया गया है.
इधर, तृणमूल के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने कहा : भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी नेतृत्वक पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन त्रिपुरा में जो हुआ वह उसकी अराजकता को दर्शाता है. संवाददाता सम्मेलन के दौरान तृणमूल नेताओं ने कुछ तस्वीरें भी साझा कीं (जिसकी सत्यता की पुष्टि नया विचार ने नहीं की है) और दावा किया कि यह त्रिपुरा में तृणमूल कार्यालय में तोड़फोड़ की तस्वीरें हैं. चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि त्रिपुरा में भाजपा नेताओं ने हिंसा और तोड़फोड़ में सीधा हिस्सा लिया. भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष विक्की प्रसाद, जो खुद को गर्वित हिंदू बताते हैं, हिंसा के दौरान मौजूद थे और तोड़फोड़ में शामिल थे. इसके अलावा विशालगढ़ के भाजपा विधायक सुशांत देब और भाजपा के सदर जिला अध्यक्ष असीम भट्टाचार्य भी हिंसा में सक्रिय थे.
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