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भारत-इंग्लैंड के बीच पटौदी ट्रॉफी होगी समाप्त, ECB जल्द कर सकता है बड़ा ऐलान

IND vs ENG Pataudi Trophy: हिंदुस्तानीय क्रिकेट टीम आईपीएल खत्म होने के बाद इंग्लैंड का दौरा करेगी. इस दौरे पर 5 टेस्ट मैच स्पोर्ट्से जाएंगे. लेकिन उससे पहले ही इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने हिंदुस्तान और इंग्लैंड के बीच स्पोर्ट्सी जाने वाली एक ऐतिहासिक ट्रॉफी को समाप्त करने का फैसला किया है. क्रिकेट वेबसाइट की समाचार के मुताबिक ऐतिहासिक पटौदी ट्रॉफी अब इतिहास का हिस्सा बन सकती है. इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी को ‘रिटायर’ करने पर विचार कर रहा है, जो इंग्लैंड की धरती पर इन दोनों क्रिकेटिंग दिग्गजों के बीच स्पोर्ट्सी जाने वाली टेस्ट सीरीज का प्रतीक रही है. 

माना जा रहा है कि आगामी जून-जुलाई में जब हिंदुस्तानीय टीम इंग्लैंड का दौरा करेगी, तब से यह बदलाव लागू हो सकता है. क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार इस फैसले के पीछे की स्पष्ट वजह अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि संभवतः दोनों देशों के हालिया दिग्गजों के नाम पर कोई नई ट्रॉफी अस्तित्व में आ सकती है. ईसीबी के इस संभावित निर्णय को लेकर क्रिकेट जगत में चर्चाएँ तेज हो गई हैं. जब क्रिकेट वेबसाइट क्रिकबज ने ईसीबी से इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी, तो बोर्ड के प्रवक्ता ने न तो इसकी पुष्टि की और न ही इसका खंडन किया. 

उन्होंने बस इतना कहा, “यह ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हम कोई टिप्पणी कर सकें.” हालाँकि, सूत्रों के अनुसार, ईसीबी ने स्वर्गीय मंसूर अली खान पटौदी के परिवार को इस फैसले की जानकारी दे दी है. परिवार के एक करीबी सूत्र ने भी इस बात की पुष्टि की कि ट्रॉफियों को समय के साथ ‘रिटायर’ कर दिया जाता है, और यह उसी प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है.

ट्रॉफी के रिटायरमेंट का यह मामला अनूठा नहीं है. अतीत में भी कई ट्रॉफियाँ बदली या समाप्त की जा चुकी हैं. इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच स्पोर्ट्सी जाने वाली विजडन ट्रॉफी को ‘रिटायर’ कर दिया गया था, और उसकी जगह ‘रिचर्ड्स-बॉथम ट्रॉफी’ की शुरुआत की गई थी. वहीं, कई ट्रॉफियाँ ऐसी भी हैं जो दशकों से चली आ रही हैं और क्रिकेट इतिहास का अभिन्न हिस्सा बन गई हैं. इनमें एशेज (इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1882-83 से), बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (हिंदुस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1996-97 से), फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी (वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1960-61 से) और वार्न-मुरलीधरन ट्रॉफी (ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच 2007-08 से) शामिल हैं.

पटौदी ट्रॉफी की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब इंग्लैंड में हिंदुस्तान-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज को स्वर्गीय मंसूर अली खान पटौदी के नाम से जोड़ा गया. तब से हर बार हिंदुस्तान जब इंग्लैंड का दौरा करता, दोनों टीमें इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा करती थीं. वहीं, जब इंग्लैंड हिंदुस्तान का दौरा करता है, तो दोनों देशों के बीच टेस्ट श्रृंखला ‘एंथनी डी मेलो ट्रॉफी’ के लिए स्पोर्ट्सी जाती है, जिसका नाम हिंदुस्तानीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष के सम्मान में रखा गया था.

हिंदुस्तानीय क्रिकेट के दिग्गज रहे टाइगर पटौदी

मंसूर अली खान पटौदी हिंदुस्तानीय क्रिकेट के सबसे करिश्माई और साहसी कप्तानों में से एक थे, जिन्हें ‘टाइगर पटौदी’ के नाम से जाना जाता था. 1961 में एक कार दुर्घटना में उनकी दाहिनी आंख की रोशनी प्रभावित हुई, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को पार करते हुए हिंदुस्तानीय क्रिकेट में अपनी मजबूत पहचान बनाई. 1962 में, मात्र 21 वर्ष की उम्र में, वे हिंदुस्तानीय टीम के सबसे युवा टेस्ट कप्तान बने और हिंदुस्तान को पहली बार विदेशी धरती पर टेस्ट जीत दिलाई.

अपने करियर में उन्होंने 46 टेस्ट मैच स्पोर्ट्से, जिसमें 2,793 रन बनाए, 6 शतक और 16 अर्धशतक जमाए. उनकी शानदार बल्लेबाजी और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें 1967 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 1975 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वे क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन और कमेंट्री से जुड़े और हिंदुस्तानीय क्रिकेट के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

22 सितंबर 2011 को 70 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत क्रिकेट जगत में हमेशा जीवंत रहेगी. 2007 में, इंग्लैंड में हिंदुस्तान-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का नाम ‘पटौदी ट्रॉफी’ रखा गया, जो उनके योगदान को सम्मान देने के लिए था. 

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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