Pakistan: हिंदुस्तान के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, जिससे वैश्विक आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. पहले से ही आर्थिक कंगाली की मार झेल रहा पाकिस्तान अब चीन से अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए मदद की मांग कर रहा है. समाचार है कि पाकिस्तान ने चीन से अरबों यूआन की मांग की है.
पाकिस्तान की मदद की गुहार
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद पाकिस्तान ने चीन से अपनी मौजूदा स्वैप लाइन को बढ़ाने का अनुरोध किया है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने बताया कि उन्होंने चीन से अपनी स्वैप लाइन को 10 अरब युआन (लगभग 1.4 अरब डॉलर) बढ़ाने का आग्रह किया है, जो वर्तमान में 30 अरब युआन है. इस वित्तीय सहायता की आवश्यकता पाकिस्तान को अपने बढ़ते वित्तीय संकट को कम करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए महसूस हो रही है.
अमेरिकी टैरिफ के कारण चीन में आर्थिक संकट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए उच्च टैरिफ ने चीनी वित्तीय स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है. कई चीनी कंपनियों ने अपने उत्पादन को रोक दिया है और इसके कारण बेरोजगारी का संकट पैदा हो गया है. सीएनबीसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कुछ हफ्तों के लिए छुट्टी पर भेज दिया है और अपनी उत्पादन गतिविधियों को कम कर दिया है. विशेष रूप से खिलौने, स्पोर्ट्स सामान और अन्य सस्ते उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा है.
चीन में बेरोजगारी का संकट
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप टैरिफ के कारण लगभग 1 से 2 करोड़ चीनी कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं, जो अमेरिका-आधारित निर्यात व्यवसायों से जुड़े हुए हैं. चीन के श्रम बाजार में यह संकट और बढ़ सकता है क्योंकि कई कंपनियां अमेरिका के साथ व्यापार की लागत बढ़ने के कारण अन्य देशों की ओर रुख कर रही हैं. इससे न केवल चीन में बेरोजगारी बढ़ेगी, बल्कि उसकी वित्तीय स्थिति भी कमजोर हो सकती है.
हिंदुस्तानीय निर्यातकों से संपर्क
चीन में मौजूदा संकट के बीच, चीनी कंपनियों ने हिंदुस्तानीय निर्यातकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. ये कंपनियां अपने अमेरिकी ग्राहकों को बनाए रखने और उनके आदेशों को पूरा करने के लिए हिंदुस्तानीय कंपनियों की मदद ले रही हैं. हिंदुस्तानीय निर्यातकों से संपर्क करना चीनी कंपनियों के लिए एक नया विकल्प बन गया है, क्योंकि हिंदुस्तान से अमेरिका को भेजे जाने वाले सामान पर लगने वाला टैरिफ अपेक्षाकृत कम है. इससे चीन की कंपनियों को अमेरिका में अपने व्यापार को बनाए रखने में मदद मिल सकती है.
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हिंदुस्तान को मिले अवसर
ट्रंप के व्यापार युद्ध ने चीन और अन्य देशों को अमेरिका में निर्यात करने के नए तरीके खोजने के लिए मजबूर किया है. वियतनाम जैसे देशों पर बढ़े हुए टैरिफ को देखते हुए चीन की कंपनियां अब हिंदुस्तानीय निर्यातकों से संपर्क कर रही हैं. हिंदुस्तानीय निर्यातकों के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है, क्योंकि हिंदुस्तान से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सामान पर अपेक्षाकृत कम टैरिफ लगाया गया है, जो कि 10% से बढ़कर जुलाई में 26% हो सकता है.
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