एनडीए को भी करना पड़ रहा बगावत का सामना
सिकंदरा. सिकंदरा विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी रण बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. महागठबंधन की अंदरूनी कलह अब खुलेआम सामने आ चुकी है. एक ओर जहां कांग्रेस ने विनोद चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित करते हुए मैदान में उतारा है, वहीं दूसरी ओर राजद ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर भरोसा जताते हुए उन्हें पार्टी का सिंबल दे दिया है. दोनों नेताओं ने शनिवार को अपने-अपने समर्थकों के साथ नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया, जिससे महागठबंधन में खुले विभाजन की तस्वीर साफ हो गयी है. वाम मोर्चा के कार्यकर्ता दोनों ही दलों के नामांकन कार्यक्रमों से दूरी बनाए रहे. सिकंदरा में इस बार त्रिकोणीय नहीं बल्कि बहुकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे हैं. एक तरफ महागठबंधन के दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को भी अंदरूनी बगावत का सामना करना पड़ रहा है. एनडीए की ओर से यह सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के खाते में गयी है और पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने मौजूदा विधायक प्रफुल्ल मांझी को फिर से मैदान में उतारा है, लेकिन प्रफुल्ल मांझी के उम्मीदवारी की घोषणा होते ही लोजपा (आर) के युवा नेता सुभाष पासवान ने बगावत का बिगुल फूंक दिया. उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर जनसुराज का दामन थाम लिया और जनसुराज पार्टी से अपना नामांकन दाखिल कर दिया. एक ओर महागठबंधन के भीतर की तकरार से वोटों का बिखराव तय माना जा रहा है, तो दूसरी ओर एनडीए की बगावत ने समीकरण और जटिल कर दिए हैं.
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