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‘मां केवल 3 घंटे सोती है, पापा ने नौकरी छोड़ दी…’, वैभव सूर्यवंशी हुए भावुक, पैरेंट्स के संघर्ष को किया बयां

Vaibhav Suryavanshi Reveals Parents Struggle for his Career: राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने जब सवाई मानसिंह स्टेडियम में शतक पूरा किया, तो वो सिर्फ एक ऐतिहासिक पल नहीं था, वो एक सपना था, संघर्षों की कहानी थी, और एक अटूट विश्वास का नतीजा था. गुजरात टाइटंस के खिलाफ जब वैभव मैदान पर उतरे तो सामने लक्ष्य 210 रनों का था. वैसे तो इसी सीजन में 245 रन का स्कोर चेज हो चुका था, लेकिन उस टीम में बड़े-बड़े धुरंधर थे, जबकि इस समय एक 14 साल का नवयुवक क्रीज पर था. लेकिन राजस्थान की धरती पर इतिहास कम…

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Vaibhav Suryavanshi Reveals Parents Struggle for his Career: राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने जब सवाई मानसिंह स्टेडियम में शतक पूरा किया, तो वो सिर्फ एक ऐतिहासिक पल नहीं था, वो एक सपना था, संघर्षों की कहानी थी, और एक अटूट विश्वास का नतीजा था. गुजरात टाइटंस के खिलाफ जब वैभव मैदान पर उतरे तो सामने लक्ष्य 210 रनों का था. वैसे तो इसी सीजन में 245 रन का स्कोर चेज हो चुका था, लेकिन उस टीम में बड़े-बड़े धुरंधर थे, जबकि इस समय एक 14 साल का नवयुवक क्रीज पर था. लेकिन राजस्थान की धरती पर इतिहास कम उम्र के रणबांकुरों ने ही लिखा है. वैभव ने केवल 35 गेंद पर ही 100 रन बनाकर बड़े स्कोर को बौना बना दिया. वैभव की 11 छक्के और 7 चौके वाली पारी के दम पर राजस्थान ने मात्र 15.5 ओवर में ही 212 रन बनाकर मैच को अपने नाम कर  लिया. आईपीएल इतिहास में सबसे कम उम्र के शतकवीर बनने के बाद वैभव ने अपनी सफलता के पीछे की कठिन राह के बारे में बात की. 

भावुक होते हुए उन्होंने अपने माता-पिता को अपनी सफलता का पूरा श्रेय दिया, जिनकी तपस्या और त्याग ने उनकी इस यात्रा की नींव रखी. वैभव ने गर्व और आभार से भरी हुई आवाज में कहा, “मैं जो भी हूं, यहां तक अपने माता-पिता की वजह से हूं.” वैभव ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए कहा, “ मुझे प्रैक्टिस में जाना है तो मेरी मम्मी सुबह दो बजे उठ रही है, 11 बजे सो रही, 3 घंटे की नींद ले रही है, फिर खाना बना रही है मेरे लिए.”  

वैभव ने अपने पिता के संघर्ष के बारे में बात करते हुए कहा, कि उनके पिता परिवार के अकेले कमाने वाले थे, लेकिन उनके लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि वे पूरी तरह वैभव के क्रिकेट करियर पर ध्यान दे सकें. वहीं उनका बड़ा भाई परिवार की ज़िम्मेदारी संभाल रहा है. वैभव ने कहा, “पापा भी मम्मी के साथ उठते हैं. पापा ने काम भी छोड़ दिया है. मेरा बड़ा भाई पापा का काम संभाल रहा है. घर बहुत मुश्किल से चल रहा है. पर पापा लगे हैं मेरे पीछे. नहीं करेगा तुम, करेगा तुम.” वैभव ने आगे कहा, “भगवान देखते हैं कि मेहनत करने वाले को कभी असफलता नहीं मिलती. आज जो सक्सेस दिख रही है वो मेरे पैरेंट्स की वजह से ही है.” 

राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों के मार्गदर्शन और संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल और रियान पराग जैसे सीनियर खिलाड़ियों से मिलते प्रोत्साहन ने उन्हें मैदान में आत्मविश्वास से भर दिया.दुनिया के बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय गेंदबाज़ों का सामना करते हुए भी वैभव का माइंडसेट साफ और निडर रहा. आईपीएल की अपनी पहली गेंद पर छक्का मारना कोई अहंकार नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और स्पष्टता का प्रतीक था. उन्होंने बस तीन मैच पहले ही अपना डेब्यू किया था और तीसरे मैच में ही यह ऐतिहासिक शतक आ गया है. गुजरात के खिलाफ तो वैभव ने मोहम्मद सिराज, इशांत शर्मा, प्रसिद्ध कृष्णा और राशिद खान जैसे गेंदबाजों का सामना करते हुए ताबड़तोड़ रन बटोरे. 

वैभव सूर्यवंशी की यह पारी सिर्फ एक रिकॉर्ड तोड़ पारी नहीं है, बल्कि वर्षों के अदृश्य संघर्षों की कहानी है, जिसे दृढ़ विश्वास ने बांधे रखा है. वैभव ने बताया कि कैसे प्रोफेशनल क्रिकेट में उनका पहला कदम राजस्थान रॉयल्स की ट्रायल में शानदार प्रदर्शन से शुरू हुआ और कैसे रोमी भिंडर, विक्रम राठौर और जुबिन भरूचा की अहम भूमिका रही उन्हें टीम तक लाने में. उन्होंने कहा, “जब टीम में आया था, सबसे पहले रोमी सर का कॉल आया था. राहुल द्रविड़ सर से बात करना, उनके अंडर ट्रेनिंग करना, एक सामान्य क्रिकेटर के लिए किसी सपने से कम नहीं.” राहुल द्रविड़ ने भी जब नीलामी में वैभव को रिकॉर्ड 1.10 करोड़ रुपये में टीम के साथ जोड़ा था, तभी कहा था कि हम उसे सबसे अच्छा माहौल देंगे. 

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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