नया विचार न्यूज़ शिवाजीनगर/समस्तीपुर – सावन मास में 13 दिनों तक चलने वाला मिथिला का प्रसिद्ध सांस्कृतिक पर्व मधुश्रावणी रविवार को हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। शिवाजीनगर प्रखंड के बंधार, बल्लीपुर, करियन, रामभद्रपुर, दसौत, लक्ष्मीनिया सहित विभिन्न गांवों में नवविवाहिताओं ने इस परंपरागत पर्व का समापन टेमी दागने और सुहाग बांटने के साथ किया। इस अवसर पर नवविवाहिताओं ने गौरी-शंकर और विषहर की पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की। 13 दिनों तक चली पूजा-अर्चना के दौरान नवविवाहिता स्त्रियां मायके में रहकर व्रत करती हैं और नमक रहित भोजन ग्रहण करती हैं। इस अवधि में वे ससुराल से आए वस्त्र धारण कर, ससुराल से भेजे गए अन्न से ही भोजन करती हैं। प्रतिदिन सखियों के साथ फूल-पत्ते चुनकर कोहबर घर में लाकर पूजा करती हैं। सावन पंचमी से आरंभ होकर यह पर्व नाग पूजा और शिव-गौरी कथा से जुड़ा है।समापन की विशेष परंपरा
पर्व के अंतिम दिन शास्त्रानुसार नवविवाहिता को कपड़े की जलती बाती से तीन जगह दागने की रस्म पूरी की जाती है। इसे स्त्री की सहनशक्ति की परीक्षा माना जाता है। लोकमान्यता है कि जितना बड़ा फफोला बनेगा, उतनी लंबी सुहाग की अवधि होगी। इस दौरान पति पत्नी की आंख बंद कर देता है और घर की स्त्री सदस्य यह रस्म निभाती है। पूजा के बाद नवविवाहिता स्त्रीओं को मेहंदी, खीर, चना और मिठाई वितरित करती है, जिसे सुहाग मथना कहा जाता है।पूरे पर्व के दौरान शिव-गौरी से जुड़ी कथाओं का वाचन और सखियों के बीच हंसी-ठिठोली के साथ धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। समापन के मौके पर लड़की के ससुराल से आए पकवान, मिठाई, चूड़ा, फल आदि से भोज का आयोजन होता है।मधुश्रावणी पर्व मिथिला की लोक संस्कृति और पारिवारिक परंपरा का प्रतीक है, जिसमें नवविवाहिता स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।