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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड को पाकिस्तानी सेना देती थी पैसा, अब एनआईए उगलवाएगी असली राज

Tahawwur Rana: मुंबई आतंकी हमले (26/11) के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को गुरुवार को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर हिंदुस्तान लाया गया है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) अब उससे पूछताछ करेगी. राणा की पृष्ठभूमि और पाकिस्तान सेना में उसकी भूमिका को देखते हुए सवाल उठता है कि पाकिस्तानी सेना में उसे कितनी सैलरी मिलती थी और क्या उसकी आतंकी गतिविधियों के लिए कोई आर्थिक सहयोग मिलता था?

तहव्वुर राणा की सैन्य पृष्ठभूमि

18 मई 2023 को प्रकाशित बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार, तहव्वुर राणा का जन्म 12 फरवरी 1961 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था. उसने मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में बतौर कैप्टन शामिल हुआ. राणा ने करीब 10 वर्षों तक सेना में सेवा दी और फिर 1997 में पाकिस्तान छोड़कर कनाडा चला गया.

1990 के दशक में पाकिस्तानी सेना में सैलरी कितनी थी?

20 नवंबर 2024 को प्रकाशित समाचारिया चैनल की वेबसाइट आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना में वेतन बेसिक पे स्केल (BPS) सिस्टम पर आधारित है. कैप्टन रैंक BPS-17 के अंतर्गत आता है, उसकी वर्तमान सैलरी 50,000 से 90,000 पाकिस्तानी रुपये है. लेकिन, 1990 के दशक में यह वेतन काफी कम था. आर्थिक विश्लेषण और विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय एक कैप्टन की मासिक सैलरी लगभग 10,000 से 20,000 पाकिस्तानी रुपये थी.

मेडिकल कोर का विशेष भत्ता

तहव्वुर राणा मेडिकल कोर में था, जिससे उसे अतिरिक्त “स्पेशलिस्ट अलाउंस” भी मिलता था. यह भत्ता आमतौर पर बेसिक सैलरी का 20% से 50% तक होता था. इस भत्ते को जोड़कर उसकी कुल मासिक सैलरी लगभग 12,000 से 30,000 पाकिस्तानी रुपये के बीच हो सकती है.

1990 के दशक में इस सैलरी की वैल्यू कितनी थी?

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 1990 के दशक में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जीडीपी करीब 400-500 डॉलर थी. उस समय 1 अमेरिकी डॉलर करीब 40-45 पाकिस्तानी रुपये के बराबर था. इस आधार पर राणा की मासिक सैलरी 300 से 750 अमेरिकी डॉलर के बीच बैठती है, जो पाकिस्तान के औसत नागरिक की आमदनी से 5-10 गुना अधिक थी. इस सैलरी से यह साफ है कि राणा हाई मिडिल क्लास में आता था.

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क्या आतंकवाद के लिए कोई अतिरिक्त पैसा मिलता था?

तहव्वुर राणा की आतंकी गतिविधियों की शुरुआत 2000 के दशक में डेविड हेडली के साथ संपर्क के बाद हुई. 1997 से पहले तक कोई सार्वजनिक प्रमाण नहीं है कि राणा को आतंकी संगठनों या आईएसआई से कोई अतिरिक्त आर्थिक सहायता मिली हो. इसलिए माना जाता है कि 1997 तक उसकी आय केवल सेना की सैलरी तक सीमित थी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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